कोविड कर्मचारियों को रिक्त पदों पर समायोजन के सम्बन्ध में कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने सीएम को लिखा पत्र…

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कोरोना कल में अस्पतालों में लगाए गए कर्मचारियों को अब तक संभावित नहीं किया गया है जिसको लेकर मुलाजिम आज भी सिस्टम के खिलाफ धरना देने को मजबूर हैं आज कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता गरिमा दसोनी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखते हुए कहा कि वैश्विक महामारी कोविड-19 के भीषण नरसंहार को सभी ने देखा और अनुभव किया है, जब यह महामारी भारत मे अपने पैर पसार रही थी, उस समय सरकार के आदेशानुसार देश के विभिन्न राज्यों में इस महामारी के खिलाफ मानव धर्म का पालन करने हेतु कोविड वारियर्स के रूप मे जीवन की परवाह किए बिना उत्तराखंड के जाबांज युवाओं ने अपनी जान की परवाह किए बगैर सरकारी अस्पतालों में सेवाएं दीं।
जब देश इस महामारी से बाहर आया तो माननीय राज्यपाल महोदय जी ने अपने अभिभाषण मे उत्तराखंड मे कार्यरत कोविड कर्मचारियों के अभूतपूर्व योगदान को सराहा, किन्तु राज्यपाल महोदय के अभिभाषण के दो दिन पश्चात ही उन्हें सेवायें समाप्त कर दी गई।
6 माह के धरने एवं लंबे संघर्ष के पश्चात इन कोविड कर्मचारियों को 6 माह का सेवा विस्तार दिया गया साथ ही यह आश्वासन दिया गया कि इसी सेवा विस्तार के मध्य समायोजन कर लिया जाएगा।
परंतु विभाग द्वारा इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया।इसके विपरीत आज 4 महीने से अनवरत एकता विहार में आंदोलन कर रहे कोविड कर्मचारियों की सुध लेने तक कोई सरकार का प्रतिनिधि नहीं पहुंचा है।
महोदय अपनी सेवाओं को पुनः पाने के लिए यह युवा चार माह से एकता विहार धरनास्थल देहरादून मे धरना एवं तीन माह से अधिक समय से आमरण अनशन (भूख हड़ताल ) कर रहे हैं, जिसका संज्ञान शासन मे बैठा कोई भी मंत्री या विभाग नहीं ले रहा।
महोदय कोविड-19 कर्मचारियों ने अपनी सेवाओं के प्रतिफल हेतु अनेक प्रयास कर लिए , जीवन धीरे-धीरे क्षीण होता जा रहा है । स्थिति यहां तक पहुंच गयी है कि मानसिक स्थिति भी अस्थिर हो चुकी है। उनकी रोजी रोटी का मात्र एक सहारा था जो उनसे छीन लिया गया है, माननीय स्वास्थ्य मंत्री जी अपने हर अभिभाषण मे कहते हैं कि कोविड-19 मे कार्य कर चुके कर्मचारियों के लिए कार्य किया जा रहा है परंतु धरातल पर कुछ भी नहीं किया जा रहा। 25 कर्मचारी भूख हड़ताल के कारण अस्पताल मे भर्ती हो चुके हैं 2 कर्मचारी टाइफाइड 1 मातृशक्ति डेंगू से पीड़ित हो चुकी हैं, महोदय धरनास्थल भी ऐसी जगह दिया गया है जहां कोई भी नहीं झांकता, उसके सामने गन्दा नाला बह रहा है ।
रावण दहन और धीरेंद्र शास्त्री के दरबार के लिए तो परेड ग्राउंड दिया जा सकता है लेकिन प्रदेश के वो लाखों युवा जो आज बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं ,उनको एक अंधेरे कुएं में धकेल दिया गया है जहां उनकी कोई सुध लेने वाला नहीं है।
अतः आपसे करबद्ध निवेदन है कि प्रदेश के इन युवाओं की पीड़ा ,उनके सामने आई विकट रोजी रोटी के संकट को समझने का कष्ट करें और व्यक्तिगत रूप से इनके साहस और बलिदान का आंकलन कर शीघ्र अति शीघ्र इन्हें रिक्त पदों पर समायोजित करने का कष्ट करें।