स्वास्थ्य महानिदेशालय और स्वास्थ्य शिक्षा निदेशालय के गजब कारनामे, पूर्व सीएम हरीश रावत ने खोली सिस्टम की पोल.. यदि हुई सीबीआई जांच तो कई पुराने मामले भी होंगे उजागर…सुनिए क्या कहा पूर्व सीएम ने..

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देहरादून। उत्तराखंड का स्वास्थ्य विभाग कब क्या कारनामा कर दे इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि राज्य में हेल्थ सिस्टम चौपट है और खरीदारी जोरो पर है। राज्य में पूर्ववर्ती सरकारों के दौरान से ही मशीनों की खरीद में सिस्टम की खास दिलचस्पी रही है विभाग करोड़ों रुपए की मशीन साल दर साल खरीदते रहे और उनके संचालन की व्यवस्था तक नहीं हो पाई, जिसके चलते करोड़ों रुपए की मशीन ठप पड़ी है एक के बाद एक मशीन की खरीदारी बताती है कि जनता के हित से पहले निजी हितों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। जिससे राज्य का सरकारी खजाना भी खाली हो रहा है । साल पूर्व कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में रुड़की अस्पताल में लगी करोड़ों रुपये की सीटी स्कैन मशीन ठप पड़ी है सूत्र बताते है कि मशीन की सीएमसी ना होने के चलते मशीन के कुछ पार्ट भी ख़राब हुए जिसको सही कराने में लगभग 16 लाख का खर्च आना है लेकिन अस्पताल प्रशासन उसको की दुरुस्त करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई गई। वहीं नई मशीनों को खरीदने में विभागीय मंत्री आए दिन बैठक कर दिशा निर्देश जारी करते हैं जिसको पूरा करने के लिए ऊपर से नीचे तक पूरा सिस्टम एकजुट हो जाता है यदि राज्य में मशीन खरीदारी से पहले उनके संचालन को लेकर विशेष ऑडिट हो जाए तो कई बड़े खुलासे हो सकते हैं । हाल ही में दून मेडिकल कॉलेज में लगी कैथ लैब के बाद अब श्रीनगर में बिना डॉक्टर की व्यवस्था के ही कैथ लेब स्थापित होने जा रही है। 8 करोड़ से ज्यादा के खर्च के बाद इस मशीन का कितना लाभ मरीजों को होगा ये तो आने वाला वक्त बताएगा लेकिन मशीन खरीद को लेकर विपक्ष ने अभी से सवाल खड़े करना शुरू कर दिया है। पूर्व सीएम हरीश रावत ने कहा कि मशीन खरीदने से पहले यदि पूरे राज्य में डॉक्टरों की तैनाती पर विभागीय मंत्री ध्यान देते तो लोगो को ज्यादा सहूलियत मिलती। उन्होंने कहा विभाग में इशारों इशारों में बड़ा तंज कसते हुए कहा कि मशीन सही कराने वाला व्यक्ति कम कमीशन देगा जबकि खरीदारी में कमीशन अधिक मिलती है जिससे चहेतों को लाभ पहुंचाया जा सके।। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि श्रीनगर में कैथ लेब का लगाना भी बताता है कि डॉक्टर के बिना मशीन का लगाना क्या खेल है।। एम्स ऋषिकेश की तर्ज़ पर चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग में मशीनों की ख़रीदारी की जाँच सीबीआई से करा दी गई तो कई बड़े खुलासे होना तय है ।

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