क्या दिल्ली जाना गुनाह है…? मुख्यमंत्री धामी का दिल्ली दौरा फिर क्यों बनता है सियासी चर्चाओं का केंद्र?

ख़बर शेयर करें

देहरादून: क्या किसी मुख्यमंत्री का दिल्ली जाना गुनाह है? यह सवाल इन दिनों उत्तराखंड की राजनीतिक फिजाओं में बार-बार गूंज रहा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का दिल्ली दौरा जब भी होता है, राजधानी देहरादून से लेकर सियासी गलियारों तक हलचल तेज हो जाती है। एक सामान्य प्रशासनिक दौरा भी कुछ चुनिंदा खबरनवीसों और विपक्षी खेमे के लिए राजनीतिक ड्रामे का मंच बन जाता है।

मुख्यमंत्री धामी का हालिया दिल्ली दौरा भी कुछ अलग नहीं रहा। सुबह से लेकर शाम तक उनके कार्यक्रम को लेकर कई तरह की चर्चाएं होती रहीं। कोई इसे संगठनात्मक फेरबदल की भूमिका बता रहा था, तो कोई इसे नेतृत्व परिवर्तन से जोड़ कर अफवाहों की फसल काट रहा था। यहां तक कि कुछ लोग मंत्रिमंडल विस्तार या बड़े अफसरशाही बदलाव तक की अटकलें लगाने लगे।

यह भी पढ़ें -  अतुल्य रिजॉर्ट में अवैध शराब पर आबकारी विभाग की छापेमारी, मसूरी इंस्पेक्टर वीके जोशी ने की सख्त कार्रवाई...

दिलचस्प बात यह रही कि यह पूरी सियासी गहमागहमी महज कुछ अज्ञात “सूत्रों” के हवाले से चलाई जा रही थी। कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं, कोई ठोस तथ्य नहीं—सिर्फ कयास, अफवाहें और राजनीतिक हवाई किले। लेकिन इससे यह बात जरूर सामने आई कि मुख्यमंत्री का दिल्ली जाना अब एक ऐसा मुद्दा बन चुका है, जिसे लेकर विशेष खेमा योजनाबद्ध षड्यंत्र की तरह काम करता नजर आता है।

सवाल उठता है कि आखिर इस सबका मकसद क्या है? क्या मुख्यमंत्री की प्रशासनिक जिम्मेदारियों और केंद्र सरकार के साथ समन्वय की जरूरतों को भी अब सियासी चश्मे से देखा जाएगा? अगर कोई मुख्यमंत्री राज्य की योजनाओं के लिए केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात करता है, या केंद्र की योजनाओं पर दिशा-निर्देश लेने दिल्ली जाता है, तो उसमें इतना रहस्य और संदेह क्यों जोड़ा जाता है?

यह भी पढ़ें -  अब नहीं हो सकेगा खनन में खेल, उत्तराखंड में मानव रहित सिस्टम से खनन पर निगरानी, बिना रॉयल्टी भुगतान के चालान होगा ऑटो जनरेट...

हकीकत यह है कि विपक्षी खेमा और कुछ मीडिया वर्ग मुख्यमंत्री धामी की हर गतिविधि को अपने-अपने राजनीतिक नजरिए से तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत करने में लगे हैं। दिल्ली दौरे जैसे सामान्य प्रशासनिक कार्यक्रम को भी ‘सत्ता संकट’ और ‘नेतृत्व परिवर्तन’ का जामा पहनाने की कोशिश की जाती है।

सीएम धामी कुछ दिन पहले ही उन खबर नवीसो से भी सटीक और तथ्य परक खबर प्रकाशित करने की नसीहत दे चुके है, लेकिन अफवाहों का बाज़ार फिर भी गर्म रहता है। इससे एक ओर जहां शासन-प्रशासन के निर्णयों की गंभीरता पर असर पड़ता है, वहीं जनता के बीच भ्रम की स्थिति भी पैदा होती है।

यह भी पढ़ें -  अतुल्य रिजॉर्ट में अवैध शराब पर आबकारी विभाग की छापेमारी, मसूरी इंस्पेक्टर वीके जोशी ने की सख्त कार्रवाई...

अंततः सवाल वही उठता है—क्या दिल्ली जाना गुनाह है? अगर नहीं, तो फिर मुख्यमंत्री धामी के हर दिल्ली दौरे को षड्यंत्र की शक्ल में पेश करना बंद होना चाहिए। क्योंकि इन राजनीतिक अफवाहों के बीच जो सबसे ज़रूरी चीज़ पीछे छूट जाती है, वह है राज्य के विकास का असली एजेंडा।