देहरादून, श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में लगने वाली कैथ लेब को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है श्रीनगर में भले ही अभी कार्डियो लोजिस्ट की नियुक्त स्थाई रूप से नही हुई है लेकिन कैथ लेब खरीदने को लेकर सिस्टम की ओर से हाय तोबा जरूर मची हुई है आनन फानन में दो दो टेंडर कैथ लेब के एक की कंपनी की स्पेसिफिशन के अनुरूप हो जाते है जो जिम्मेदारों की भूमिका पर भी सवाल खड़े कर रहा है कि आखिरकार जब शिकायतें और प्री बीड में आपत्तियां लगी तब भी अधिकारियों के कानो में जूं तक नहीं रेंगी, और अधिकारी मशीन सप्लाई की दहलीज पर भी पहुंच गई। राज्य की सरकार जीरो टॉलरेंस के नारे के साथ काम कर रही है लेकिन सिस्टम से जुड़े चंद लोगो के द्वारा षड्यंत्र करते हुए उस पर भी पलीता लगाया जा रहा है। विपक्ष के नेता इस बात को पहले भी उठा चुके है कि सरकार मशीनों की खरीदारी से पहले उसे चलाने वाले स्टाफ की व्यवस्था भी करे। सूत्रों की माने तो अभी भी कई मशीन राज्य के अस्पतालों में ऐसी है जिनका संचालन ही शुरू नही हुआ है जैसे यूरीन एनालाइजर, लैब इन बेग, 5 पार्ट सेल काउंटर जेसी मशीनें राज्य के कई जनपदों में बिना स्टाफ के सफेद हाथी बनी हुई है और अब श्रीनगर में लगने वाली कैथ लेब को लेकर भी इसी प्रकार की चर्चाएं हो रही है।। सरकार को इसको लेकर गंभीरता से विचार करके की जरूरत जिससे कहीं करोड़ों खर्च के बाद यह भी यह मशीन उसी श्रेणी में ना आ जाए।।