देहरादून, उत्तराखंड स्वास्थ्य शिक्षा विभाग के तमाम मुलाजिम इन दिनों पैसा कमाने की होड़ में इतने बेपरवाह हो गए हैं कि ना उन्हें नियम और ना ही किसी व्यवस्था से कोई फर्क पड़ रहा है।। दरअसल चिकित्सा शिक्षा विभाग में आए दिन खरीदारी में खेल के मामले सामने आते रहे हैं लेकिन उसके बावजूद भी हालात सुधरने का नाम ही नहीं ले रहे हैं आलम यह है कि दून मेडिकल कॉलेज में जिन मुलाजिम के हाथ में टेंडर जारी होने से लेकर कार्य आवंटन करने की कमान सौंपी गई है उनके अपने ही परिजनों के नाम से बनी कई फर्में विभाग में लंबे समय तक काम करती रही। अब भला सरकार का जीरो टॉलरेंस का नारा कितना फलीभूत हो रहा है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है।। इन मुलाजिम को इस बात का भी खौफ नहीं है कि जिस विभाग से इन्हें वेतन मिल रहा है उसी पर चूना केसे लगाया जा सकता है।। ऐसे कारनामें लंबे समय से होते रहे लेकिन किसी को इसकी खबर ना हो इसकी संभावना कम ही है। जबकि चिकित्सा शिक्षा विभाग में हर बात का खयाल रखने वाले अधिकारियों के पास भी जानकारी है लेकिन इस पर कार्रवाई करने के बजाए चुप्पी साध लेना ज्यादा बेहतर समझा जाता है ऐसे मामलों पर कार्रवाई करे तो करें कौन यह यक्ष प्रश्न आज भी सबके सामने खड़ा है।। चिकित्सा शिक्षा विभाग में नियमों के पालन को लेकर यूं तो बड़े बड़े ज्ञाता उपलब्ध हैं लेकिन जब बात अपनों की हो तो भला नियम ज्ञान और ध्यान कहां रखा जाता हैं।।