देहरादून के दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में वीडियो बनाने पर हुई मारपीट का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। अस्पताल में तैनात सुरक्षा कर्मियों ने एक व्यक्ति के साथ सिर्फ इसलिए मारपीट कर दी क्योंकि वह वहां हो रहे हंगामे का वीडियो बना रहा था। घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद अस्पताल प्रशासन और सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
क्या है पूरा मामला?
बीती रात दून अस्पताल की इमरजेंसी में दो पक्षों के बीच हुई मारपीट के घायलों को इलाज के लिए लाया गया था। बताया जा रहा है कि उस दौरान अस्पताल में अफरा-तफरी मची हुई थी और इसी बीच कुछ लोगों ने वहां की स्थिति का वीडियो बनाना शुरू कर दिया। लेकिन जैसे ही अस्पताल के सुरक्षा कर्मियों ने एक व्यक्ति को वीडियो बनाते देखा, उन्होंने तुरंत उसे रोकने की कोशिश की और विवाद बढ़ गया।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, सुरक्षा कर्मियों ने वीडियो बना रहे युवक के साथ बदसलूकी शुरू कर दी और उसके साथ हाथापाई तक कर डाली। इस दौरान अस्पताल में अफरा-तफरी मच गई और अन्य मरीज व उनके परिजन भी सहम गए।
सुरक्षा कर्मियों की कार्रवाई पर उठे सवाल
इस घटना के बाद सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि सरकारी अस्पताल में वीडियो बनाने पर सुरक्षा कर्मियों को इतनी आपत्ति क्यों हुई? आमतौर पर अस्पतालों में मरीजों और उनके तीमारदारों की परेशानियों को उजागर करने के लिए कई बार वीडियो बनाए जाते हैं, लेकिन इस मामले में सुरक्षा कर्मियों की इतनी सख्त प्रतिक्रिया क्यों आई?
कुछ लोगों का कहना है कि अस्पताल प्रशासन नहीं चाहता कि वहां की अव्यवस्थाओं का सच जनता के सामने आए, इसलिए सुरक्षा कर्मियों ने वीडियो बनाने वालों को रोकने की कोशिश की। वहीं, कुछ लोगों का मानना है कि यह किसी अधिकारी के इशारे पर हुआ, ताकि अस्पताल में फैली अव्यवस्थाओं को छुपाया जा सके।
सोशल मीडिया पर गुस्सा, प्रशासन से जवाब मांग रहे लोग
यह घटना सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गई है। वायरल हो रहे वीडियो में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि सुरक्षा कर्मी एक व्यक्ति को धक्का दे रहे हैं और उसके साथ मारपीट कर रहे हैं। इस वीडियो के सामने आने के बाद लोग प्रशासन से सवाल पूछ रहे हैं कि सरकारी अस्पताल में आम लोगों को वीडियो बनाने से क्यों रोका जा रहा है? क्या प्रशासन अपनी कमियों को छुपाने की कोशिश कर रहा है?
अस्पताल प्रशासन का क्या कहना है?
अभी तक दून अस्पताल प्रशासन की ओर से इस मामले में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। हालांकि, सूत्रों के मुताबिक, प्रशासन इस पूरे मामले की जांच कर रहा है और जल्द ही कोई स्पष्टीकरण दे सकता है।
निष्कर्ष
यह घटना दिखाती है कि सरकारी अस्पतालों में पारदर्शिता को लेकर अभी भी सवाल खड़े होते हैं। अगर अस्पताल में सब कुछ ठीक है, तो फिर वीडियो बनाने पर इतनी सख्त प्रतिक्रिया क्यों? क्या प्रशासन को डर है कि अस्पताल की अव्यवस्थाएं उजागर हो जाएंगी? अब देखना होगा कि इस मामले में क्या कार्रवाई होती है और क्या प्रशासन सुरक्षा कर्मियों के इस व्यवहार पर कोई सख्त कदम उठाता है या नहीं।
