उत्तराखंड में आबकारी विभाग की बड़ी सफलता, धामी सरकार की सख्ती से बढ़ा राजस्व, टूटी शराब माफियाओं की कमर….

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देहरादून। उत्तराखंड में आबकारी विभाग के भीतर हो रहे सकारात्मक प्रयोग न केवल सरकारी खजाने को उम्मीद से कहीं ज्यादा भरने का काम कर रहे हैं, बल्कि राज्य में नशे के अवैध कारोबार पर भी लगाम कसने में सफल हुए हैं। यह सब संभव हो पाया है मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की दूरदर्शी नीतियों और आबकारी विभाग की नई कार्य प्रणाली के चलते।

पिछले कुछ वर्षों में जहां आबकारी महकमा मुश्किल से 70 से 80 प्रतिशत लक्ष्य ही पूरा कर पाता था, वहीं अब यह आंकड़ा न केवल सौ प्रतिशत से ऊपर पहुंचा है, बल्कि अतिरिक्त राजस्व के रूप में सरकार को जबरदस्त आय भी हो रही है। उपलब्ध आंकड़े इस ओर इशारा करते हैं कि मुख्यमंत्री धामी की मंशा और गंभीरता सरकारी खजाने की मजबूती को लेकर कितनी स्पष्ट है।

अवैध शराब कारोबार पर शिकंजा

सरकार की बेहतर नीतियों और मजबूत इरादों के चलते उत्तराखंड में शराब माफियाओं की कमर टूट चुकी है। एक ओर जहां लगातार छापेमारी और प्रवर्तन कार्रवाई की जा रही है, वहीं दूसरी ओर शराब माफियाओं को या तो जेल की सलाखों के पीछे भेजा गया है या फिर वे प्रदेश छोड़ने को मजबूर हो गए हैं।

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जनपद स्तर पर आबकारी निरीक्षकों को स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए गए हैं कि कच्ची शराब के अड्डों को जड़ से खत्म किया जाए और अवैध तस्करी पर ज़ीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई जाए। नतीजतन राज्य के कई क्षेत्रों से अवैध शराब निर्माण की खबरें लगभग समाप्त हो गई हैं, जिससे सामाजिक रूप से भी एक सकारात्मक माहौल बन रहा है।

वैध कारोबार को बढ़ावा

एक तरफ जहां अवैध कारोबारियों पर सख्ती बरती जा रही है, वहीं वैध शराब कारोबार को भी पारदर्शिता और नीति आधारित संचालन की दिशा में प्रोत्साहित किया जा रहा है। इससे शराब व्यवसाय से जुड़े लोगों को नियमों के दायरे में रहकर काम करने का मौका मिल रहा है। इससे न केवल रोजगार बढ़ा है बल्कि राज्य को राजस्व का एक बड़ा स्रोत भी मजबूती से मिला है।

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ड्राई एरिया बना सच्चाई

उत्तराखंड सरकार ने धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते हुए धार्मिक स्थलों के आसपास शराब की बिक्री पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है। पहली बार ऐसा हुआ है जब ‘ड्राई एरिया’ केवल कागजों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसे जमीनी स्तर पर भी प्रभावी रूप से लागू किया गया है। बदरीनाथ, केदारनाथ, ऋषिकेश क्षेत्र जैसे प्रमुख धार्मिक स्थलों पर शराब की बिक्री पूर्णतः वर्जित कर दी गई है, जिससे स्थानीय जनता के साथ-साथ पर्यटकों के बीच भी सरकार की छवि मजबूत हुई है।

उपभोक्ताओं के हित में कदम

सरकार ने शराब की ओवररेटिंग पर भी सख्त कदम उठाए हैं। निर्धारित मूल्य से अधिक दर पर शराब बेचने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है, जिससे उपभोक्ताओं में संतोष का भाव है। इसके साथ ही उपभोक्ताओं की शिकायतों को प्राथमिकता से निपटाने की व्यवस्था भी की गई है।

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उत्पादन आधारित दृष्टिकोण

अब उत्तराखंड सिर्फ उपभोग पर नहीं, बल्कि उत्पादन आधारित आबकारी नीति की ओर बढ़ रहा है। शराब उत्पादन में निवेश को बढ़ावा देने के लिए नीतियों में संशोधन किए गए हैं, जिससे प्रदेश में स्थानीय उत्पादन को भी बल मिलेगा और राज्य को दीर्घकालिक राजस्व स्रोत मिल पाएगा।

निष्कर्ष

उत्तराखंड की आबकारी नीति अब केवल राजस्व संग्रहण का माध्यम नहीं रही, बल्कि यह सामाजिक सुधार, आर्थिक सशक्तिकरण और प्रशासनिक पारदर्शिता का प्रतीक बन चुकी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में जिस तरह से आबकारी विभाग को प्रोफेशनल और आधुनिक रूप दिया जा रहा है, वह अन्य राज्यों के लिए भी एक मॉडल बनता जा रहा है।

राजस्व वृद्धि, अवैध शराब पर रोक, धार्मिक स्थलों की गरिमा की रक्षा, उपभोक्ताओं के अधिकारों की सुरक्षा और नीतिगत पारदर्शिता—ये सभी पहलू मिलकर एक बेहतर और जवाबदेह उत्तराखंड के निर्माण की दिशा में एक ठोस कदम साबित हो रहे हैं।