देहरादून। उत्तराखंड के मेडिकल कॉलेज में अब नर्सेज का एक नया संगठन तैयार कर दिया गया है , जबकि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण की तमाम नर्सेज आज भी मेडिकल कॉलेज में तैनात है। ऐसे में दोनों के सामने टकराव की स्थिति पैदा होना भी लाजमी है। यह संगठन किस मकसद से बनाया गया है यह तो स्पष्ट नहीं है लेकिन संगठन बनाने वालों ने बड़े-बड़े दावे जरूर कर दिए हैं।। उत्तराखंड में नर्सिंग स्टाफ के संगठनों में बदलाव देखने को मिल रहा है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग नर्सेज एसोसिएशन के बाद अब चिकित्सा शिक्षा विभाग में तैनात नर्सेज ने भी अपना अलग संगठन बना लिया है। इससे पहले हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज को छोड़ कर राज्य के मेडिकल कॉलेजों में तैनात नर्सिंग स्टाफ स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के नर्सिंग संगठन से जुड़ा हुआ था।
नई कार्यकारिणी का गठन और नेतृत्व
चिकित्सा शिक्षा विभाग में तैनात नर्सिंग स्टाफ ने अपनी अलग पहचान बनाते हुए एक नए संगठन का निर्माण किया है, जिसकी अध्यक्षता नीलम अवस्थी को सौंपी गई है। उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग में तैनात नर्सिंग संवर्ग और चिकित्सा शिक्षा विभाग में तैनात स्टाफ के बीच महत्वपूर्ण अंतर हैं। इसी कारण दोनों के लिए अलग-अलग संगठन होना आवश्यक था।
नीलम अवस्थी ने कहा कि परिवार कल्याण विभाग में कार्यरत नर्सिंग स्टाफ के प्रमोशन में अधिक समय लगता है, जबकि चिकित्सा शिक्षा विभाग में यह प्रक्रिया अपेक्षाकृत सरल और तेज है। इसके अलावा, चिकित्सा शिक्षा विभाग में कार्यरत नर्सिंग स्टाफ की जिम्मेदारियां भी अलग होती हैं। उन्होंने बताया कि नए संगठन का आधिकारिक रूप से पंजीकरण भी कर लिया गया है, जिससे यह पूरी तरह कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त संगठन बन गया है।
पुराने संगठन का पक्ष
इस नई पहल पर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के नर्सिंग संवर्ग संगठन की अध्यक्ष भारती जुयाल ने कहा कि पहले सभी नर्सिंग स्टाफ एक ही संगठन का हिस्सा थे। लेकिन अब मेडिकल कॉलेज के कुछ कर्मचारियों ने खुद को अलग कर लिया है और अपना नया संगठन बना लिया है।
हालांकि, सूत्र बताते है कि राज्य के नर्सिंग कॉलेजों में तैनात नर्सिंग स्टाफ इस नए संगठन का हिस्सा नहीं है। यह दर्शाता है कि अभी भी कुछ वर्ग इस बदलाव के साथ नहीं हैं और पुरानी संरचना में ही बने रहना चाहते हैं।
नए संगठन के बनने के पीछे की वजहें
नए संगठन के गठन के पीछे मुख्य रूप से प्रमोशन प्रक्रिया और कार्यकारी अधिकारों में अंतर को कारण माना जा रहा है। चिकित्सा शिक्षा विभाग में तैनात नर्सिंग स्टाफ को अपनी पदोन्नति और अन्य लाभों को लेकर अधिक सुविधा मिलती है, जबकि परिवार कल्याण विभाग में यह प्रक्रिया धीमी बताई जा रही है।
सूत्रों के अनुसार, चिकित्सा शिक्षा विभाग के अंतर्गत आने वाले मेडिकल कॉलेजों में नर्सिंग स्टाफ की अलग पहचान और अलग मांगों को देखते हुए यह निर्णय लिया गया। इस कदम से स्पष्ट हो गया है कि उत्तराखंड में नर्सिंग स्टाफ अब संगठित होकर अपनी मांगों को अलग-अलग प्लेटफार्म पर उठाना चाहता है।
आगे की राह और संभावित प्रभाव
इस नए संगठन के बनने से नर्सिंग स्टाफ को अपनी विशेष जरूरतों और समस्याओं को अलग मंच पर रखने का अवसर मिलेगा। वहीं, पुराने संगठन के साथ जुड़े नर्सिंग स्टाफ को भी अपने कार्यक्षेत्र में बदलाव महसूस हो सकता है।
फिलहाल, यह देखना दिलचस्प होगा कि उत्तराखंड सरकार और स्वास्थ्य विभाग इस नई संरचना पर क्या रुख अपनाते हैं। क्या यह संगठन नर्सिंग स्टाफ की समस्याओं को अधिक प्रभावी ढंग से हल कर पाएगा, या इससे विभागीय स्तर पर नई चुनौतियां खड़ी होंगी? यह आने वाले समय में ही स्पष्ट होगा।
