उत्तराखंड पहला राज्य: NEP राज्य पाठ्यचर्या 2025 तैयार, 3 दिन प्रधानाचार्यों की ट्रेनिंग संपन्न

ख़बर शेयर करें

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत देहरादून जनपद के माध्यमिक विद्यालयों के प्रधानाचार्य और प्रधानाध्यापकों के लिए तीन दिवसीय अभिमुखीकरण कार्यशाला 11 से 13 दिसंबर तक जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) देहरादून में आयोजित की गई। कार्यशाला की शुरुआत प्राचार्य हेमलता गौड़ उनियाल, पूर्व प्राचार्य राकेश जुगरान, पूर्व संयुक्त निदेशक प्रदीप कुमार रावत और वरिष्ठ प्रवक्ता राम सिंह चौहान ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलन कर की। प्राचार्य हेमलता गौड़ उनियाल ने कहा कि उत्तराखंड देश का पहला राज्य है जिसने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू करते हुए बुनियादी और विद्यालयी शिक्षा के लिए राज्य पाठ्यचर्या रूपरेखा तैयार कर ली है। उन्होंने कहा कि इस कार्यशाला में हुई चर्चा को सभी प्रधानाचार्य अपने-अपने विद्यालयों में लागू करेंगे। वरिष्ठ प्रवक्ता राम सिंह चौहान और डॉ. विजय सिंह रावत ने भारत की शिक्षा प्रणाली के विकास और नई शिक्षा नीति की रूपरेखा पर जानकारी दी। पूर्व प्राचार्य राकेश जुगरान ने कहा कि राज्य पाठ्यचर्या 2025 का मकसद संवैधानिक मूल्यों, वैज्ञानिक दृष्टिकोण और मानवीय गुणों से युक्त नागरिक तैयार करना है।

यह भी पढ़ें -  IMA 157वीं पासिंग आउट: 525 अधिकारियों को मिला कमीशन, सेना प्रमुख ने दी बधाई

वहीं, पूर्व संयुक्त निदेशक प्रदीप कुमार रावत ने शिक्षा नीति की प्रमुख विषयवस्तु (थीम्स) और भारतीय ज्ञान प्रणाली के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि हमारे ग्रंथों, दर्शन और परंपराओं में मानवीय मूल्यों, वैज्ञानिक सोच और प्रकृति संरक्षण का गहरा संदेश है। नई पाठ्यचर्या में इन मूल्यों का समावेश किया जा रहा है, जिसमें संस्था प्रमुखों और शिक्षकों की अहम भूमिका है।

“जेंडर संवेदीकरण” से खत्म होगा भेद-भाव

दूसरे दिन एससीईआरटी उत्तराखंड के कार्यक्रम समन्वयक रविदर्शन तोपवाल और मनोज किशोर बहुगुणा ने राज्य पाठ्यचर्या रूपरेखा 2025 में शामिल विषयों, समय सारणी, विद्यालयी संस्कृति और इनकी प्रभावी क्रियान्वयन प्रक्रिया पर विस्तृत जानकारी दी। निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण, उत्तराखंड वंदना गर्ब्याल ने सभी प्रधानाचार्यों और शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा कि नई शिक्षा नीति को ज़मीन पर उतारने में सभी की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने सभी से अपने सर्वोत्तम प्रयासों से राज्य के शैक्षिक विकास में योगदान देने का आह्वान किया। डायट की संकाय सदस्य सरिता रावत ने “जेंडर संवेदीकरण” विषय पर रोचक गतिविधियों के माध्यम से परिवार, विद्यालय और समाज में लैंगिक भेदभाव को खत्म करने में शिक्षकों की भूमिका पर चर्चा की। इस मौके पर मुख्य शिक्षा अधिकारी विनोद कुमार ढौंडियाल ने भी राष्ट्रीय शिक्षा नीति, परिषदीय परीक्षाओं और विभागीय योजनाओं की जानकारी दी।

यह भी पढ़ें -  उत्तराखंड सरकार का पुलिस विभाग में बड़ा प्रशासनिक फेरबदल, कई वरिष्ठ अधिकारियों के तबादले

तीसरे दिन संदर्भदाता प्रणय कुमार ने “आनंदम पाठ्यचर्या” का परिचय दिया, जबकि शिशुपाल सिंह बिष्ट ने “परख राष्ट्रीय सर्वेक्षण 2024” में देहरादून जिले के प्रदर्शन का विश्लेषण प्रस्तुत किया। सरिता रावत ने जेंडर संवेदीकरण पर चर्चा को आगे बढ़ाते हुए गतिविधियों और चलचित्र के माध्यम से प्रतिभागियों को जागरूक किया। समापन सत्र में वरिष्ठ प्रवक्ता राम सिंह चौहान ने सभी प्रतिभागियों और संदर्भदाताओं का धन्यवाद देते हुए कहा कि इस कार्यशाला से प्राप्त ज्ञान को विद्यालय स्तर तक पहुंचाना ही सच्ची सफलता होगी। कार्यशाला का संचालन प्रणय बहुगुणा ने किया। इसमें डायट के कई संकाय सदस्य और जनपद के लगभग सत्तर प्रधानाचार्यों ने भाग लिया।