उपभोक्ता से उत्पादन की ओर बढ़ते कदम…. उत्तराखंड की ‘जिन जीजी’ को लंदन में मिला गोल्ड मेडल…

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देहरादून: उत्तराखंड में निर्मित लोकल ब्रांड ‘जिन जीजी’ को लंदन में आयोजित अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक (गोल्ड मेडल) से सम्मानित किया गया है। इस उपलब्धि ने साबित कर दिया है कि अब राज्य सिर्फ शराब का उपभोक्ता नहीं, बल्कि उत्कृष्ट गुणवत्ता वाला उत्पादक भी बनता जा रहा है। राज्य के आबकारी विभाग की नई नीति, जो स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा दे रही है, उसी का यह सकारात्मक परिणाम है।

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जिन जीजी विशेष रूप से कुमाऊं मंडल में तैयार की जाती है, जिसमें क्षेत्रीय फलों, जड़ी-बूटियों और वनस्पतियों का इस्तेमाल किया जाता है। इसका न केवल स्वाद अनूठा बनता है, बल्कि यह ब्रांड क्षेत्रीय पहचान और जैव विविधता को भी संरक्षित करती है। इससे सबसे बड़ा लाभ स्थानीय किसानों को मिल रहा है, जो इन कच्चे माल की आपूर्ति कर रहे हैं।

उत्तराखंड के इतिहास में पहली बार बीते वर्ष राज्य से 12 लाख पेटी शराब का एक्सपोर्ट हुआ है, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है। अब आबकारी विभाग ने इस लक्ष्य को और ऊंचा रखते हुए वर्ष 2025-26 के लिए 1 करोड़ पेटी के निर्यात का लक्ष्य तय किया है। यह न केवल राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूती देगा, बल्कि हजारों किसानों की आय में भी बड़ा इजाफा करेगा।

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आबकारी आयुक्त हरि चंद सेमवाल का कहना है कि अब स्थानीय शराब उद्योग को बढ़ावा देने के साथ-साथ किसानों और उद्यमियों के हितों को जोड़ने पर विशेष फोकस किया जा रहा है। इससे कृषि आधारित उद्यमों को भी संबल मिलेगा और राज्य की आत्मनिर्भरता बढ़ेगी।

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‘जिन जीजी’ की वैश्विक सफलता यह दर्शाती है कि उत्तराखंड की मिट्टी, पानी और परंपरा में वह ताकत है जो अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपनी अलग छाप छोड़ सकती है। यह सिर्फ शराब नहीं, बल्कि एक सामाजिक-आर्थिक बदलाव की कहानी है।