उत्तराखंड में भूमाफियाओं का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है। अब यह गिरोह सरकारी दफ्तरों की भूमि पर भी कब्जा करने से बाज नहीं आ रहे हैं। एक ताजा मामला हरिद्वार जिले के रानीपुर मोड़ स्थित आबकारी निरीक्षक कार्यालय का सामने आया है, जहां भूमाफियाओं की नजरें गड़ी हुई हैं। सूत्रों के अनुसार, किराए के भवन में पिछले 30 सालों से चल रहे कार्यालय पर कब्जा करने के लिए फर्जी कागज तैयार किए जा रहे हैं और अधिकारियों की मिलीभगत से इसका इस्तेमाल करने की साजिश रची जा रही है।
हरिद्वार में स्थित आबकारी निरीक्षक कार्यालय जो कि रानीपुर मोड़ के प्रमुख स्थान पर स्थित है, अब भूमाफियाओं के निशाने पर है। लंबे समय से किराए के इस कार्यालय में आबकारी निरीक्षक का कार्य जारी है, लेकिन उक्त भवन के वारिसान ना होने के चलते अब इस पर फर्जी कागज तैयार करा कर इस पर कब्जा करने की तैयारी की जा रही है सूत्रों की माने तो आबकारी के वरिष्ठ अधिकारियों की अनुपस्थिति और कार्यालय के प्रशासनिक ढांचे की कमजोरी का लाभ उठाते हुए भूमाफिया इस भूमि पर कब्जे की कोशिशें कर रहे हैं।
सूत्रों का कहना है कि भूमाफियाओं ने यहां सरकारी भूमि पर कब्जा करने के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार कर लिए हैं, जो कि उनके कब्जे की योजना को जायज ठहराने में मददगार हो सकते हैं। यह पूरी साजिश प्रशासनिक लापरवाही और भ्रष्टाचार का परिणाम हो सकती है, क्योंकि यदि यह दस्तावेज प्रमाणित होते हैं, तो यह भूमाफियाओं के लिए जमीन को वैध बनाने का रास्ता खोल सकते हैं। जबकि भवन स्वामी की जानकारी ना होने के चले आबकारी विभाग ही लंबे समय से उक्त भवन पर कब्जा है और बिजली बिल भी महकमे के द्वारा ही भुगतान किया जाता रहा है अब इस पर एक चहेते की नजर है जिसे जल्द ही उक्त भवन का मालिक बनाने के लिए भी खेल खेला जा रहा है।
यह मामला उत्तराखंड में भूमाफियाओं के बढ़ते प्रभाव को उजागर करता है। राज्य में कई ऐसे मामले सामने आ चुके हैं, जहां सरकारी भूमि पर अवैध कब्जे की घटनाएं पहले हो चुकी है ।
हालांकि सूत्र बता रहे है कि हरिद्वार जिले के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस मामले में अंदरखाने जांच शुरू कर दी है ताकि किसी भी अवैध गतिविधि का पता चल सके। हालांकि, सवाल यह उठता है कि जब सरकारी दफ्तरों की भूमि तक सुरक्षित नहीं है, तो आम जनता की संपत्ति किस तरह से भूमाफियाओं के चंगुल से बच सकती है।
समाज के विभिन्न वर्गों का कहना है कि सरकारी संपत्तियों की सुरक्षा के लिए अधिक सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है। साथ ही, अधिकारियों को अपनी जिम्मेदारियों को समझते हुए भूमि माफियाओं के खिलाफ कठोर कार्रवाई करनी चाहिए ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
इस मामले ने यह साबित कर दिया है कि राज्य में भूमि माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई के लिए एक मजबूत और प्रभावी योजना की आवश्यकता है, ताकि सरकारी संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके और किसी भी प्रकार के अवैध कब्जे को रोका जा सके।