स्वास्थ्य विभाग में जो कभी थे खास अब वो आम हो गए, खास होने की हो गई सारी गलतफहमी दूर….

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स्वास्थ्य विभाग में खुद को खास बता कर तमाम योजनाएं अधिकारियों को बाईपास करते हुए ऊपर तक पहुंच जाती थी जिससे सिस्टम की साख पर भी बट्टा लग रहा था लेकिन उक्त अधिकारी को इस बात से भी कोई फर्क नही पड़ता था। जो अधिकारी खुद को ऊपर का खास होने का दम भरा करते थे अब वह आम हो गए हैं। दरअसल स्वास्थ्य विभाग के उन अधिकारियों पर यह कहावत सटीक बैठती है कि हर खास कहलाने वाले व्यक्ति को यह पता होना चाहिए कि वह कभी भी आम हो सकता है।। ऊपर की नाराजगी के बाद उच्च स्तर का वह अधिकारी अब अपने मनसूबों में फेल साबित हो रहा है जिस चौखट पर जाने को वह अधिकारी तैयार नहीं होता था अब वहां माथा टेकना पड़ रहा है जो खूब चर्चाओं में भी है दरअसल मंत्रालय कभी नियुक्तियों के मामले में नाराजगी व्यक्त करता है तो कभी खरीदारी के मामले में। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग के सर्वोच्च पद पर बैठे हुए अधिकारी खुद को असहाय सा महसूस करने लगे हैं।। ऐसा हो भी क्यों ना, हालात पैदा करने वाले अधिकारी खुद ही मंत्रालय पहुंचकर अधिकारियों की खिलाफत करते हैं और जब मंत्रालय के सामने हकीकत पहुंचती है तो अधिकारी खुद ही बेनकाब होते हुए दिखाई दिए । अब अधिकारियों को इस बात को समझने की भी जरूरत है जिससे सिस्टम को बाईपास करने से पहले हकीकत को समझ सके।