क्या हकीकत में नहीं सुधर रहे अधिकारी ? बार बार क्यों हो रहे बायोमैट्रिक उपस्थिति को लेकर आदेश, अब देर से आने पर होगी कार्रवाई

ख़बर शेयर करें

देहरादून। सरकारी कार्यालयों में समय पर उपस्थिति को लेकर अब शासन ने सख्त रुख अपना लिया है। सामान्य प्रशासन विभाग ने शासनादेश संख्या-556 दिनांक 15 अप्रैल, 2025 के माध्यम से राज्य के सभी कार्यालयों में बायोमैट्रिक उपस्थिति प्रणाली के सख्त अनुपालन के निर्देश जारी किए हैं। इससे पहले भी शासन ने क्रमशः 30 जून 2009, 5 मई 2022 और 18 मई 2022 को इस संबंध में निर्देश जारी किए थे, लेकिन अब तक कई अधिकारी और कर्मचारी समय पर बायोमैट्रिक उपस्थिति दर्ज नहीं करा रहे हैं।

यह भी पढ़ें -  सिंचाई विभाग के अधीक्षण अभियंता निलंबित, भ्रष्टाचार के खिलाफ धामी सरकार की कड़ी कार्रवाई जारी

शासन को लगातार यह शिकायत मिल रही थी कि कुछ विभागों में अधिकारी/कर्मचारी समय पर कार्यालय नहीं पहुंच रहे हैं और बायोमैट्रिक उपस्थिति प्रणाली की अनदेखी कर रहे हैं। इसे गंभीरता से लेते हुए अब प्रत्येक कार्यालय में नामित अधिकारी को यह जिम्मेदारी दी गई है कि वे प्रतिदिन प्रातः 10:15 बजे तक उपस्थिति की समीक्षा करें। सचिवालय के लिए यह समय 9:45 बजे निर्धारित किया गया है।

नए निर्देशों के अनुसार अब देर से कार्यालय पहुंचने वालों पर चरणबद्ध कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी। यदि कोई कर्मचारी महीने में एक दिन देर से आता है, तो उसे मौखिक चेतावनी दी जाएगी। दो दिन देर से आने पर लिखित चेतावनी जारी की जाएगी। यदि कोई कर्मचारी तीन दिन देर से आता है तो उसका एक दिन का आकस्मिक अवकाश काट दिया जाएगा। और यदि चार या उससे अधिक दिन देर से आने की प्रवृत्ति पाई जाती है तो उसके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी।

यह भी पढ़ें -  देहरादून में निकली तिरंगा यात्रा, मुख्यमंत्री ने ऑपरेशन तिरंगा की सफलता पर सेना के शौर्य और पराक्रम को किया नमन....

शासन ने यह भी स्पष्ट किया है कि समयपालन न केवल कार्य संस्कृति को सुधारता है, बल्कि आमजन को बेहतर सेवाएं देने के लिए आवश्यक भी है। शासन को आशा है कि समस्त अधिकारी एवं कर्मचारी तय समयानुसार कार्यालय पहुंच कर बायोमैट्रिक प्रणाली में अपनी उपस्थिति दर्ज करेंगे।

यह भी पढ़ें -  उपभोक्ता से उत्पादन की ओर बढ़ते कदम…. उत्तराखंड की ‘जिन जीजी’ को लंदन में मिला गोल्ड मेडल…

सभी विभागीय प्रमुखों को निर्देशित किया गया है कि वे उपरोक्त दिशा-निर्देशों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करें और किसी भी स्तर पर लापरवाही पाए जाने पर संबंधित के विरुद्ध तत्काल कार्रवाई करें। शासन की इस सख्ती को कार्यसंस्कृति सुधार की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।