क्या दून के डॉक्टरों की अधिकारियों की मौन सहमति पर चल रही निजी दुकानें…?

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देहरादून, राज्य के सबसे बड़े अस्पताल के डॉक्टर भले ही अस्पताल में मरीजों को देखने में आनाकानी कर दें। लेकिन अपनी निजी दुकानों (क्लिनिक) में ले जाने में कभी भी हेरा फेरी नहीं दिखाई देती।। जी हां राज्य का सबसे बड़ा सरकारी मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल दून इन दिनों इस बात को लेकर भी चर्चाओं में है कि तमाम डॉक्टर ने अपनी निजी दुकान भी खोली हुई है अब अधिकारियों की मोन सहमति है या फिर खुले तौर पर कोई नियम ही बना दिया गया है जिससे लूट का यह धंधा खूब फल फूल रहा है।। पहले डॉक्टर को इसके लिए एनपीए जैसी व्यवस्था का लाभ दिया जाता था लेकिन मेडिकल कॉलेज में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है जिसका संविदा पर आए डॉक्टर भरपूर फायदा भी उठा रहे हैं दरअसल डॉक्टर निजी दुकान खोले हुए हैं जो पहले अस्पतालों में मरीजों को देखते हैं और बाद में धीरे से एक कार्ड अपने निजी अस्पताल के पते का थमा दिया जाता है जिससे वह निजी क्लीनिक तक आसानी से पहुंच सके।। हालांकि दून के अधिकारियों को इस बात का इल्म भी है लेकिन कार्रवाई करने के लिए मजबूत इच्छा शक्ति की जरूरत है जो फिलहाल अधिकारियों में दिखाई नहीं देती।।