अंधा बांटे रेवड़ी अपने अपनो को देय की कहावत उत्तराखंड चिकित्सा शिक्षा विभाग पर सटीक बैठती है। जी हां उत्तराखंड चिकित्सा शिक्षा विभाग में यूं तो अटैचमेंट की व्यवस्था को पूरी तरीके से बंद किया हुआ है लेकिन जब अपनों को किसी व्यवस्था का लाभ पहुंचाना है तो फिर क्या नियम और क्या कानून, सब माफ हैं।। चिकित्सा शिक्षा निदेशालय और दून मेडिकल कॉलेज में ऐसे तमाम मुलाजिम श्रीनगर मेडिकल कॉलेज के तैनात किए गए हैं जो कागजों में तो श्रीनगर में ही काम कर रहे हैं लेकिन हकीकत में उनसे काम चिकित्सा शिक्षा निदेशालय और दून मेडिकल कॉलेज में लिए जा रहा है यह व्यवस्था तब है जब विभाग के आलाधिकारी इन कर्मचारियों पर मेहरबान है।। इस व्यवस्था को लेकर अधिकारियों का तर्क भी गजब का ही होता है उनसे सवाल पूछो तो जवाब होता है कि व्यवस्था बनाने के लिए यह सब किया जा रहा है ।। अब भला कुछ लोगों के लिए व्यवस्था बनाना विभाग के अन्य कर्मचारियों का मनोबल तोड़ रहा हो तो फिर इसका फायदा किसे है। इस बात को लेकर विभाग के भीतर भी चर्चाओं का बाजार गर्म है कि आखिरकार अटैचमेंट की व्यवस्था समाप्त होने के बावजूद भी कैसे मुलाजिमों को मुख्यालय और दून में रखा गया है।। एक तरफ स्वास्थ्य शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत सभी अटैचमेंट को समाप्त करने के निर्देश जारी करते हैं तो वहीं चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारी अटैचमेंट करके उनके आदेशों को ही ठेंगा दिखा रहे हैं।। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि स्वास्थ्य शिक्षा मंत्री के आदेशों को उन्हीं के अधिकारी कितनी गंभीरता के साथ ले रहे हैं।