कहीं से कार्रवाई कहीं से राहत, क्यों शराब कारोबारियों के आगे सिस्टम हो रहा बेबस..?

ख़बर शेयर करें

देहरादून। उत्तराखंड में शराब कारोबारियों का प्रभाव इतना बढ़ चुका है कि वे प्रशासन से भी ऊपर नजर आने लगे हैं। नियमों की अनदेखी करना इनके लिए आम बात हो गई है, और इस स्थिति के लिए सरकारी सिस्टम भी कम जिम्मेदार नहीं है। देहरादून में ऐसे कई उदाहरण सामने आए हैं जहां शराब कारोबारियों को राहत देने के लिए प्रशासन ने तेजी से फैसले लिए, लेकिन जब आम जनता से जुड़े मामलों की बात आती है तो महीनों तक फाइलें आगे नहीं बढ़तीं।

यह भी पढ़ें -  भ्रामक सर्वे रिपोर्ट से देहरादून की छवि पर प्रहार, महिला सुरक्षा में नजीर पेश कर रहे SSP अजय सिंह, देहरादून को बना रहे सुरक्षित शहर का मॉडल”...

शराब कारोबारियों के बढ़ते प्रभाव के पीछे सबसे बड़ी वजह सरकारी मशीनरी की ढिलाई और मिलीभगत मानी जा रही है। नियमों को ताक पर रखकर शराब कारोबारियों को लाभ पहुंचाने के कई मामले सामने आए हैं। सबसे गंभीर बात यह है कि जब ये कारोबारी किसी नियम को तोड़ते हैं तो उनके खिलाफ कही से कार्रवाई होती है तो कहीं से तुरंत राहत दे दी जाती है।

यह भी पढ़ें -  महिला सुरक्षा रिपोर्ट पर महिला आयोग का कड़ा रुख, निजी सर्वे से देहरादून की छवि धूमिल करना निंदनीय : कुसुम कण्डवाल

तेजी से सुनवाई, तुरंत फैसले

जब शराब कारोबारियों के किसी मुद्दे को लेकर अपील की जाती है, तो उनकी सुनवाई सिस्टम के द्वारा प्राथमिकता पर की जाती है। कई मामलों में देखा गया है कि इन कारोबारियों के पक्ष में फैसले भी तुरंत सुना दिए जाते हैं। इसके विपरीत, जब शराब की ओवर रेटिंग की शिकायत की जाती है तो उस पर एक्शन कम ही होता है

नियमों को ताक पर रखकर चल रहा धंधा

यह भी पढ़ें -  गढ़वाल से कुमाऊं तक अवैध शराब माफियाओं पर शिकंजा, आबकारी निरीक्षक प्रेरणा बिष्ट की सख्ती से माफियाओं में हड़कंप....

देहरादून समेत राज्य के अन्य जिलों में कई ऐसी शराब की दुकानें और ठेके हैं, जो तय नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं। इस पूरे मामले में सिस्टम की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। कानून-व्यवस्था बनाए रखना और नियमों का पालन करवाना सरकार और प्रशासन की जिम्मेदारी होती है, लेकिन जब अधिकारी ही नियमों को नजरअंदाज करने लगें, तो कानून का डर खत्म हो जाता है।