उत्तराखंड में स्कूलों की पढ़ाई में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को अच्छे से लागू करने के लिए कई प्रयास हो रहे हैं। इसी के तहत आज जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) देहरादून में तीन दिन की एक खास ट्रेनिंग कार्यशाला शुरू हुई, जिसका विषय है “विद्यालयी शिक्षा 2025 और जेंडर संवेदनशीलता”। इस कार्यशाला में देहरादून ज़िले के माध्यमिक विद्यालयों के प्रधानाध्यापक और प्रधानाचार्य शामिल हैं। कार्यशाला की शुरुआत डायट की प्राचार्य हेमलता गौड़ उनियाल, पूर्व प्राचार्य राकेश जुगरान, पूर्व संयुक्त निदेशक प्रदीप कुमार रावत और वरिष्ठ प्रवक्ता राम सिंह चौहान ने मिलकर दीप जलाकर की। स्वागत भाषण में प्राचार्य हेमलता गौड़ उनियाल ने कहा कि उत्तराखंड देश का पहला राज्य है, जहां राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को ज़मीन पर लागू किया जा रहा है। वरिष्ठ प्रवक्ता राम सिंह चौहान और डॉ. विजय सिंह रावत ने भारत की शिक्षा व्यवस्था का संक्षिप्त इतिहास बताया और सरल तरीके से राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की पूरी रूपरेखा समझाई।
पहले दिन के पहले सत्र में संदर्भदाता और डायट के पूर्व प्राचार्य राकेश जुगरान ने राज्य पाठ्यचर्या (सिलेबस की रूपरेखा) पर आसान भाषा में विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि हमारी शिक्षा व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य ऐसे चरित्रवान नागरिक तैयार करना है, जिनमें संवैधानिक मूल्य, वैज्ञानिक सोच और अच्छे मानवीय गुण हों। इसी बात को ध्यान में रखते हुए न केवल राज्य स्तर पर, बल्कि पूरे देश के स्तर पर भी पाठ्यचर्या की रूपरेखाएं बनाई गई हैं। पहले दिन के दूसरे सत्र में पूर्व संयुक्त निदेशक और शिक्षाविद प्रदीप कुमार रावत ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की मुख्य “क्रॉस कटिंग थीम्स” (यानी सभी कक्षाओं और विषयों में चलने वाले समान बड़े विचारों) के बारे में सरल और विस्तार से जानकारी दी।
भारतीय ज्ञान प्रणाली हैं असीमित ज्ञान भंडार
शिक्षाविद प्रदीप कुमार रावत ने नालंदा, तक्षशिला, विक्रमशिला जैसे पुराने विश्वविद्यालयों का जिक्र करते हुए कहा कि भारतीय ज्ञान प्रणाली पहले से ही बहुत समृद्ध रही है। इसका आधार मानववाद, वैज्ञानिक सोच, प्रकृति का संरक्षण और मानवीय मूल्य रहे हैं। हमारे वेद, वेदांग, उपनिषद, पुराण, रामायण, महाभारत जैसे महाकाव्य, धर्मग्रंथ और विभिन्न भारतीय दर्शन आदि असीमित ज्ञान के खजाने हैं। आज के समय में अपनी प्राचीन भारतीय ज्ञान प्रणाली को राज्य की जरूरतों के अनुसार शिक्षा व्यवस्था तैयार करना सबसे पहला और जरूरी काम है। इस काम में संस्था प्रमुखों और अध्यापकों की सबसे बड़ी भूमिका है, क्योंकि ये ही समाज और छात्रों से सीधे जुड़े रहते हैं। अपने भाषण के बाद प्रदीप कुमार रावत ने प्रतिभागियों के सवालों और शंकाओं का भी समाधान किया। कार्यशाला में डायट के संकाय सदस्य सुरेंद्र डंगवाल, शिशुपाल बिष्ट, अरुण थपलियाल के अलावा प्रधानाचार्य प्रेमलता बौड़ाई, परमानंद सकलानी, प्रदीप कुमार नैथानी, दीपक नवानी, प्रदीप बहुगुणा, राकेश भट्ट आदि भाग ले रहे हैं।


