देहरादून । उत्तराखंड के विकास प्राधिकरण क्षेत्र में अवैध निर्माण होने पर अब प्राधिकरणों के इंजीनियरों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। अवैध निर्माण को वैध कराने का एक और मौका देते हुए, वनटाइम सेटलमेंट स्कीम पर मुहर लगा दी है।
आपको बता दें कि इस बार कंपाउंडिंग के लिए वर्ष 2012 के सर्किल रेट लागू किए जाएंगे। साथ ही कुछ मामलों में शत प्रतिशत तक भी कंपाउंडिंग हो सकेगी। प्राधिकरण क्षेत्रों में अवैध निर्माण को कंपाउंडिग के जरिए वैध करने के लिए सरकार वर्ष 2019 में दो बार वनटाइम सेटलमेंट स्कीम लागू कर चुकी है।
तब लोगों ने योजना में खास दिलचस्पी नहीं दिखाई थी। अब कैबिनेट ने एक और बार अतिरिक्त छूट के साथ योजना लागू करने पर सहमति जता दी है। इस बार सबसे बड़ा बदलाव, अवैध निर्माण को लेकर संबंधित प्राधिकरण के इंजीनियर की जिम्मेदारी तय करने का हुआ है। सूत्रों के अनुसार, योजना का जीओ जारी होने के बाद यदि अवैध निर्माण हुआ तो इस पर सेटेलाइट चित्रों के माध्यम से संबंधित इंजीनियर पर कार्रवाई की जाएगी।
आठ साल पुराना सर्किल रेट लागू
इस बार कंपाउंडिंग के लिए 2012 का सर्किल रेट लागू करने को मंजूरी दी गई है। पिछली दोनों बार योजना में मौजूदा सर्किल रेट लागू था। इस बार आठ वर्ष पुराना सर्किल रेट लागू कर लोगों को भारी राहत दी गई है। सूत्रों के अनुसार, इसके बाद प्राधिकरणों में अवैध निर्माण पर सख्ती की जाएगी। योजना, शासनादेश जारी होने के बाद से चार महीने के लिए लागू की जाएगी।
शत-प्रतिशत कम्पाउंडिंग
कैबिनेट ने अब आवासीय भवनों के मामले में बैक सेटबैक और साइड सेटबैक में शत प्रतिशत कंपाउंडिग की अनुमति दे दी है। पहाड़ में पांच सौ वर्ग मीटर और मैदान में तीन सौ वर्ग मीटर तक के भूखंड को यह सुविधा हासिल होगी। पहले इसमें 40% तक निर्माण ही कंपाउंड हो सकता था। भवनों की ऊंचाई में भी 15 प्रतिशत तक कंपाउंडिंग की अनुमति प्रदान की गई है।
पार्किंग के मानकों में भी रियायत
नई स्कीम में पार्किंग के नियम काफी छूट दी गई है। यदि किसी भवन में पार्किंग की जगह नहीं है तो पांच सौ मीटर के दायरे में पार्किंग की सुविधा की जा सकती है। इस दायरे में भी पार्किंग की व्यवस्था नहीं तो नौ मीटर से कम चौड़े मार्ग पर 200 वर्ग मीटर तक व इससे छोटे भूखंड में शत प्रतिशत कंपाउंड हो सकेगा। इसके लिए आवेदकों को सर्किल रेट के 150% दर से शुल्क चुकाना होगा।
इन्हें मिलेगा लाभ
एकल आवासीय, व्यावसायिक भवन, आवासीय- व्यावसायिक भूउपयोग में मौजूद दुकान, कार्यालय, आवासीय क्षेत्र में स्थित नर्सिंग होम, क्लीनिक, ओपीडी, पैथोलॉजी लैब, डायगोस्टिक सेंटर, चाइल्ड केयर, नर्सरी स्कूल, क्रेच, प्ले स्कूल को योजना का लाभ मिलेगा।
अलबत्ता सरकारी जमीन पर स्थित अवैध निर्माण, पूर्व से कोर्ट में चल रहा मामला, दूसरे की जमीन पर किया गया निर्माण, तालाब, जलाशय, नदी, नाला श्रेणी की भूमि पर किया गया निर्माण योजना के दायरे में शामिल नहीं होगा।