देहरादून। एक ओर जहां सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्म दिवस को सेवा पखवाड़ा के रूप में मना कर स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता बढ़ाने का दावा कर रही है, वहीं दूसरी ओर राजधानी देहरादून के दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की गंभीर खामियां उजागर हो रही हैं। यहां अस्पताल की मशीनों का इस्तेमाल कर निजी डायग्नोस्टिक सेंटर के नाम से रिपोर्ट तैयार करने का मामला सामने आया है।
घटना मंगलवार शाम करीब 6:30 बजे की बताई जा रही है। जानकारी के अनुसार, 34 वर्षीय एक मरीज ने पेट संबंधी समस्या को लेकर हरिद्वार रोड स्थित एक निजी क्लीनिक में डॉक्टर से परामर्श लिया। परामर्श के दौरान डॉक्टर ने उसे अल्ट्रासाउंड कराने की सलाह दी और दून अस्पताल चौक पर स्थित एक निजी डायग्नोस्टिक सेंटर में भेज दिया।
मरीज के मुताबिक, डायग्नोस्टिक सेंटर में मौजूद डॉक्टर ने दो हजार रुपये ऑनलाइन भुगतान के रूप में लिए। इसके बाद मरीज का अल्ट्रासाउंड किसी निजी मशीन पर नहीं, बल्कि दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल के ओपीडी ब्लॉक में संचालित अल्ट्रासाउंड मशीन से किया गया। आश्चर्यजनक रूप से रिपोर्ट भी दून अस्पताल में ही तैयार हुई, लेकिन मरीज को वह रिपोर्ट डायग्नोस्टिक सेंटर के नाम से थमा दी गई।
इस चौंकाने वाले खुलासे से स्पष्ट है कि अस्पताल की सुविधाओं का दुरुपयोग कर निजी लाभ कमाने का खेल चल रहा है। यह न केवल अस्पताल की साख पर सवाल उठाता है, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं की पारदर्शिता पर भी गहरी चोट करता है। जबकि जिस डॉक्टर के द्वारा अल्ट्रासाउंड किया गया है
मामले की गंभीरता को देखते हुए दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल के एमएस डॉ. आर. एस. बिष्ट ने कहा,
“यह बेहद गंभीर मामला है। इसकी जांच कराई जाएगी और जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।”
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह कोई पहला मामला नहीं है। लंबे समय से अस्पताल की मशीनों और संसाधनों के दुरुपयोग की शिकायतें उठती रही हैं, लेकिन कार्रवाई के अभाव में ऐसे मामलों पर अंकुश नहीं लग पा रहा है।
सरकार जहां एक ओर स्वास्थ्य सेवाओं को सशक्त बनाने का दावा कर रही है, वहीं दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल जैसे संस्थान में इस तरह के कृत्य स्वास्थ्य तंत्र पर सवाल खड़े कर रहे हैं। अब देखना होगा कि जांच के बाद दोषियों पर वास्तव में कठोर कार्रवाई होती है या मामला एक बार फिर कागजों में ही दबकर रह जाता है।
