राज्य की नई शराब नीति को लेकर जहां विभाग के अधिकारी अपनी पीठ थपथपा रहे हैं वही शराब के छोटे कारोबारी सरकार की इस नीति का दबी जुबान में विरोधी करने लगे हैं आलम ये है कि नीति के तहत इस बार बड़े ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने के लिए अलग-अलग दुकानों के लिए आवेदन करने पर अलग-अलग ड्राफ्ट सिक्योरिटी मनी जमा कराई जाएगी जिसको लेकर छोटे व्यापारी शासन और मुख्यालय के अधिकारियों के सामने इस व्यवस्था को लागू ना करने की मांग कर भी रहे हैं जिससे कि छोटे व्यापारी भी ई टेंडर प्रक्रिया के तहत इसमें शामिल हो सके। पॉलिसी में पहली बार 2 साल के लिए दुकानों का आवंटन होना है जिससे व्यापारी खुश हैं । तो वही सरकार को इससे करोड़ों का नुकसान होना भी तय माना जा रहा है साल 2020 में सरकार ने लाटरी के माध्यम से 38 करोड़ का राजस्व एकत्र किया था जबकि इस बार ई टेंडर व्यवस्था होने से बहुत ज्यादा राजस्व प्राप्त होता भी दिखाई नहीं दे रहा है। वही पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत पहले ही पॉलिसी को सिंडीकेट को फायदा पहुंचाने वाली पॉलिसी बताकर इस पर सवाल खड़े कर चुके हैं ।