पिथौरागढ़ के मुनस्यारी नगर में इन दिनों पेयजल संकट का त्राहिमाम मचा हुआ है। साल 1971 में भूम्कापानी श्रोत से कस्बे के लिए बनी पुरानी पेयजल योजना आज बढ़ती आबादी के सामने पूरी तरह नाकाफी साबित हो रही है। हालांकि, जल संस्थान द्वारा 1.50 करोड़ रुपये की लागत से नई पेयजल योजना बीते साल ही स्वीकृत हुई थी, लेकिन निर्माण कार्य की गुणवत्ता सही न होने के कारण स्थानीय नागरिकों ने योजना पर गंभीर सवाल उठाए। जांच में अनियमितताएँ पाई गईं, जिसके बाद ठेकेदार मामला न्यायालय में ले गए—जहाँ प्रकरण वर्तमान में विचाराधीन है। इसी खींचतान का खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है और क्षेत्र में पानी की समुचित आपूर्ति नहीं हो पा रही है।
आंखे मूंदे बैठा है जल संस्थान
भूनियादी आवश्यक्ताओं से त्रस्त मुनस्यारी के स्थानीयों का कहना है कि काफी लंबे समय से पेयजल स्त्रोतों की सफाई तक नहीं हुई है, तो वहीं श्रोत के ऊपरी भाग में कुमाऊँ विकास निगम द्वारा डंप किया गया कचरे का ढेर जल स्रोतों को प्रभावित कर रहा है। वहीं पाइपलाइन की स्थिति भी काफी चिंताजनक है, कई स्थानों पर प्लास्टिक के पाइप उपयोग किए गए हैं। ऐसा ही कुछ हाल सॉकेट का भी है जिनकी जगह ट्यूब से जोड़कर व्यवस्था को चलाया जा रहा है। यद्यपि, जल संस्थान के प्रांगण में पाइप मौजूद है फिर भी उन्हें इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है। इस प्रकार जस संस्थान की इस कार्यशैली को लेकर स्थानीयों में नाराजगी है। गौरतलब है कि नगर पंचायत क्षेत्र के साथ ही 94 ग्राम पंचायतों की जलापूर्ति का जिम्मा भी जल संस्थान के कंधो पर हैं, बावजूद इसके अधिकांश क्षेत्र ऐसे हैं जहां पानी को लेकर त्राहिमाम मचा हुआ है। यद्यपि, मुनस्यारी में जल स्त्रोतों की कोई कमी नहीं है, मगर असल समस्या है की जल संस्थान इस मुद्दे पर अपनी आंखें मूंदे बैठा है।


