सल्ट के शहीदों का आजादी में महत्वपूर्ण योगदान

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आजादी की लड़ाई में सल्ट क्षेत्र के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का बलिदान कभी नहीं भुलाया जा सकता। पांच सितंबर 1942 को आजादी की लड़ाई के दौरान खुमाड़ के खीमानंद व उनके भाई गंगा राम समेत बहादुर सिंह, चूड़ामणि शहीद हो गए थे। इसके अलावा कई क्रांतिकारी आजादी की लड़ाई में घायल हो गए। इनकी याद में खुमाड़ में शहीद स्मारक बनाया गया है। यहां प्रतिवर्ष पांच सितंबर को शहीद दिवस मनाया जाता है।सल्ट क्षेत्र में स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन की आग 1921 से ही सुलगने लगी थी। धीरे-धीरे आंदोलन ने जोर पकड़ना शुरू कर दिया। अंग्रेजी सेना की सख्ती बेअसर होने लगी। खुमाड़ निवासी क्रांतिकारी पंडित पुरुषोत्तम उपाध्याय और लक्ष्मण सिंह अधिकारी के नेतृत्व में सल्ट क्षेत्र में 1921 से आजादी की जंग ने जोर पकड़ लिया। क्रांतिकारियों के जज्बे के आगे ब्रिटिश साम्राज्य का असर खास नहीं था। 1931 में मोहान के जंगल आंदोलन केदौरान भारी संख्या में क्रांतिकारियों की गिरफ्तारी हुई। क्रांतिकारियों को कमजोर करने के लिए अंग्रेजी सेना ने क्रांतिकारियों पर जोरदार लाठीचार्ज करवा दिया। अंग्रेजों की ओर से चलाई गई गोलियों से खुमाड़ के खीमानंद, उनके सगे भाई गंगा राम, बहादुर सिंह, चूड़ामणि चार लोग मौके पर ही शहीद हो गए। जबकि 12 से अधिक क्रांतिकारी गंभीर रूप से घायल हो गए थे।आज के दिन सल्ट के तमाम लोग शहीद स्मारक पहुँच कर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते है।