भाजपा नेता के विवादित बयान से मचा बवाल, सिस्टम की साख पर उठे सवाल

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देहरादून, उत्तराखंड: प्रदेश की राजनीति एक बार फिर विवादों में घिर गई है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राज्य मंत्री दर्जा प्राप्त विश्वास डाबर का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिसमें वह बेहद आपत्तिजनक और बड़बोले बयान देते नजर आ रहे हैं। वीडियो में डाबर भगवा वस्त्रों में बैठे एक व्यक्ति के सामने यह कहते हुए सुने जा सकते हैं कि “जो शराफत से जा रहा है वो तो ठीक, नहीं तो पैर में गोली मारकर भगा रहे हैं।” साथ ही वे पुलिस को उस व्यक्ति को उठाने का आदेश भी देते नजर आ रहे हैं।

इस वीडियो के सामने आने के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है। विपक्षी दलों ने भाजपा पर तीखा हमला बोलते हुए कहा है कि सत्ता के नशे में चूर भाजपा नेताओं को कानून की मर्यादाओं का कोई खौफ नहीं रह गया है। कांग्रेस प्रवक्ताओं ने इसे लोकतांत्रिक प्रणाली और कानून व्यवस्था की खुली अवहेलना बताया है।

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स्थानीय लोगों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी इस बयान की कड़ी निंदा की है। उनका कहना है कि जब राज्य के जिम्मेदार पदों पर बैठे लोग इस तरह की भाषा का इस्तेमाल करेंगे, तो आम जनता को कानून पर भरोसा कैसे रहेगा। पुलिस की निष्पक्षता और कार्यप्रणाली पर भी इस तरह के आदेश प्रश्नचिन्ह खड़ा करते हैं।

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भाजपा की तरफ से अभी तक इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि इस वीडियो के सार्वजनिक होने के बाद शीर्ष नेतृत्व ने इस पर संज्ञान लिया है। संभावना जताई जा रही है कि डाबर को इस बयान के लिए सफाई देनी पड़ सकती है।

गौरतलब है कि उत्तराखंड में हाल के दिनों में भाजपा नेताओं की बयानबाजी और आचरण को लेकर कई बार पार्टी की किरकिरी हो चुकी है। ऐसे में यह ताजा मामला न केवल भाजपा की छवि पर असर डाल रहा है, बल्कि राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था और पुलिस महकमे की निष्पक्षता को भी कठघरे में खड़ा कर रहा है।

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विशेषज्ञों का मानना है कि सत्ता में रहते हुए नेताओं को संयमित भाषा का प्रयोग करना चाहिए, क्योंकि उनके बयान न केवल जनता पर असर डालते हैं बल्कि शासन प्रणाली की गरिमा को भी प्रभावित करते हैं। ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि पार्टी अपने नेताओं को जवाबदेह बनाए और इस तरह की बयानबाजी पर अंकुश लगाए।

इस विवाद के बीच अब देखना यह होगा कि भाजपा इस मामले में क्या रुख अपनाती है और क्या राज्य सरकार इस पर कोई कार्रवाई करती है या फिर यह भी अन्य विवादों की तरह वक्त के साथ दब जाएगा।

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