हरक सिंह रावत के बयान पर सियासत गरमाई, सीएम धामी ने दी कड़ी प्रतिक्रिया; बोले—सिख समुदाय पर टिप्पणी अस्वीकार्य…

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उत्तराखंड की राजनीति एक बार फिर गर्मा गई है। पूर्व कैबिनेट मंत्री और कांग्रेस चुनाव प्रबंधन समिति के अध्यक्ष हरक सिंह रावत के विवादित बयान ने प्रदेश की सियासत में हलचल तेज कर दी है। बार एसोसिएशन के धरना स्थल पर सिख समुदाय से जुड़े एक वकील पर टिप्पणी को लेकर हरक सिंह रावत लगातार विवादों में घिरते जा रहे हैं। सोशल मीडिया पर उनका वीडियो वायरल होने के बाद मामला और तूल पकड़ गया है, जिसके बाद सिख समुदाय सहित कई संगठनों ने कड़ी नाराज़गी जताई है।

बढ़ते विरोध को देखते हुए रविवार को हरक सिंह रावत गुरुद्वारे पहुंचे। यहां उन्होंने गुरु ग्रंथ साहिब के समक्ष नतमस्तक होकर अपनी टिप्पणी के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगी। रावत ने स्वीकार किया कि उनके शब्दों से किसी की भावनाएं आहत हुई हैं, जो दुर्भाग्यपूर्ण है। प्रायश्चित स्वरूप उन्होंने जोड़ा घर और लंगर रसोई में सेवा कर सिख परंपरा के तहत क्षमा याचना भी की।इधर, इस पूरे विवाद पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की पहली आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने आई है। सीएम धामी ने कड़े शब्दों में कहा कि किसी भी समुदाय के खिलाफ की गई टिप्पणी पूरी तरह अस्वीकार्य है। उन्होंने कहा कि सिख गुरुओं का इतिहास देश की आन-बान-शान से जुड़ा है। “गुरु नानक देव जी से लेकर गुरु गोबिंद सिंह जी तक सभी गुरुओं का त्याग और बलिदान भारतीय संस्कृति की रक्षा का प्रतीक रहा है,” सीएम धामी ने कहा।

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मुख्यमंत्री ने यह भी उल्लेख किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने सिख समुदाय के सम्मान से जुड़े कई ऐतिहासिक निर्णय लिए हैं—1984 के दंगों के दोषियों को सज़ा दिलाना, करतारपुर कॉरिडोर का निर्माण, अफगानिस्तान से पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब का सुरक्षित भारत आगमन सुनिश्चित करना और स्वर्ण मंदिर को इनकम टैक्स से मुक्त करना। धामी ने कहा कि ये कदम सिख समाज के प्रति सरकार की आस्था और सम्मान को दर्शाते हैं। उत्तराखंड से जुड़े विकास कार्यों का जिक्र करते हुए सीएम धामी ने बताया कि हेमकुंड साहिब रोपवे परियोजना पर तेजी से काम चल रहा है, जिससे देश-विदेश से आने वाले सिख श्रद्धालुओं को यात्रा के दौरान बड़ी सुविधा मिलेगी।

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मुख्यमंत्री ने दो टूक कहा, “हमारे लिए सिख समाज अत्यंत पूजनीय है। इस तरह की टिप्पणियों से किसी की भावनाएं आहत हों, यह बिल्कुल नहीं होना चाहिए।”
इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का नया दौर शुरू हो गया है कि आगामी चुनावी माहौल में यह मुद्दा किस मोड़ की ओर बढ़ेगा।

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