ऋषिकेश। महाकुंभ में तमाम तरह के इंतजाम मुकम्मल होने के ढोल-नगाड़े पीटे जा रहे हैं, मगर हकीकत में कुंभ की मूल अवधारणा (स्नान) के लिए ही मुकम्मल व्यवस्था नहीं की गई है। साधु-संतों और श्रद्धालुओं को आस्था की डुबकी लगवाने को लेकर प्रशासन और सरकार कितनी गंभीर है, इसका अंदाजा सिर्फ इस बात से लगाया जा सकता है कि वर्तमान में गंगा में सात हजार क्यूसेक पानी बह रहा है, जिसके चलते गंगा की जलधारा त्रिवेणीघाट से कई मीटर दूर बह रही है।
सिंचाई विभाग के उपखंड अधिकारी अनुभव नौटियाल के मुताबिक गंगा की जलधारा को घाट तक लाने और डुबकी लगाने के लिए पर्याप्त पानी 20 हजार क्यूसेक होना चाहिए। दावा है कि इतना पानी टीएचडीसीआईएल के ओर से छोड़ा ही नहीं जा रहा है। इस बाबत प्रशासन और टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड को करीब 18 दिन पहले चिट्ठी तक लिखे चुके हैं। उनकी मानें, तो टीएचडीसी प्रबंधन का इसपर कहना है कि प्रशासन के आदेश बगैर वह पानी नहीं छोड़ सकते हैं। अलबत्ता, जाहिर है कि मेले की व्यवस्थाओं और स्नान को लेकर प्रशासन दावेभर कर रहा है। जबकि, मूल अवधारणा गंगा स्नान को लेकर लापरवाही साफ नजर आती है। गंगा में कम पानी से श्रद्धालुओं को स्नान में दिक्कतें पेश आ रही हैं।