चिकित्सा चयन आयोग के गजब हाल,कैसे होगी स्वास्थ्य विभाग में स्वास्थ्य कर्मियों की कमी पूरी जब आयोग खुद चल रहा है महानिदेशालय के भरोसे

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राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने व कर्मचारियों की तैनाती को लेकर सरकार ने चिकित्सा चयन आयोग बनाया था जिससे कि राज्य में डॉक्टरों की कमी के साथ ही अन्य जरूरी स्टाफ को तैनाती दी जा सके लेकिन आलम यह है कि चिकित्सा चयन आयोग खुद स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों के बूते अपना काम चला रहा है पहले ही कर्मचारियों की कमी का रोना रोने वाले स्वास्थ्य विभाग में अब चिकित्सा चयन आयोग, फूड एवं ड्रग विभाग के साथ ही शासन ने भी कर्मचारियों को अपने यहां तैनात किया हुआ है जिससे स्वास्थ्य महानिदेशालय में कर्मचारियों का भारी टोटा है आपको बता दें कि स्वास्थ्य विभाग में 107 लिपिक संवर्ग के कर्मचारियों के पदों के सापेक्ष महज 57 ही कर्मचारी विभाग में तैनात हैं इन 57 कर्मचारियों में भी 4 चिकित्सा चयन आयोग , 4 कर्मचारी फूड एवं ड्रग विभाग के पास है जबकि 4 कर्मचारी अपनी सेवाएं शासन में दे रहे है। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि चिकित्सा चयन आयोग कितनी गंभीरता के साथ स्वास्थ्य सेवाओं में नए कर्मचारियों की तैनाती करवा पा रहा है जब आयोग अपने ही कामकाज के लिए कर्मचारी तैनात नही कर पा रहा है ऐसे राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं को भला वो आयोग कैसे बेहतर बना पाएगा यह अपने आप में बड़ा सवाल है। दरअसल चयन आयोग में शुरुआती दौर से ही रिटायर डीजी हेल्थ को इसमें तैनाती मिलती रही है। उनसे सरकार की उम्मीदों के साथ ही स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को भी उम्मीद जुड़ी होती है कि समय से कर्मचारियों को तैनाती मिल सकेगी जिससे स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाया जा सके लेकिन महीनों का समय बीतने के बाद भी कर्मचारियों की तैनाती ना होने से उन्हें भी खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।