देहरादून: उत्तराखंड भाजपा की प्रदेश प्रवक्ता हनी पाठक की एक चूक आज सोशल मीडिया में चर्चा का विषय बनी हुई है। दरअसल, प्रवक्ता हनी पाठक ने ब्राह्मण समाज से जुड़े भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट को उनके कार्यकाल के लिए बधाई देते हुए उनका नाम ‘महेंद्र सिंह’ लिख डाला। इस मामूली सी प्रतीत होने वाली गलती ने भाजपा की आंतरिक समझ और प्रवक्ताओं की जानकारी पर कई तरह के सवाल खड़े कर दिए हैं।
राजनीति में प्रवक्ता किसी भी पार्टी का चेहरा होते हैं, जिनसे उम्मीद की जाती है कि वे न केवल पार्टी की विचारधारा को सही तरीके से प्रस्तुत करें, बल्कि संगठन और उसके प्रमुख नेताओं की सही जानकारी भी रखें। लेकिन जब खुद प्रवक्ता अपने प्रदेश अध्यक्ष का सही नाम नहीं जानते या लिखने में चूक जाते हैं, तो यह पार्टी की गंभीरता और प्रशिक्षण प्रणाली पर भी प्रश्नचिन्ह लगाता है।
इस पूरे मामले ने सोशल मीडिया पर तेजी से आग पकड़ी। जहां कई यूज़र्स ने इसे “सरल मानवीय भूल” कहा, वहीं कई लोगों ने भाजपा प्रवक्ताओं के ज्ञान और राजनीतिक समझ पर तंज कसा। कुछ यूज़र्स ने व्यंग्यात्मक टिप्पणियों में कहा कि “जो अपने ही प्रदेश अध्यक्ष का नाम न जानें, वे आम जनता की समस्याओं और सरकार की नीतियों की जानकारी कितनी गहराई से रखेंगे?”
यह मामला इसलिए भी खास हो जाता है क्योंकि महेंद्र भट्ट न केवल वर्तमान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष हैं, बल्कि उत्तराखंड की राजनीति में एक सशक्त ब्राह्मण नेता के तौर पर भी पहचाने जाते हैं। उन्हें लेकर पार्टी में एक वर्ग विशेष के समर्थन की रणनीति भी जुड़ी रही है। ऐसे में उनका नाम गलत लिखा जाना न केवल असावधानी को दर्शाता है, बल्कि इससे उस वर्ग की भावनाओं को भी ठेस पहुंच सकती है, जिसे साधने की पार्टी कोशिश कर रही है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस तरह की चूकें अक्सर विपक्ष को बैठे-बिठाए मुद्दा थमा देती हैं। भले ही यह एक टाइपिंग मिस्टेक रही हो, लेकिन सोशल मीडिया के दौर में ऐसी गलती तुरंत वायरल हो जाती है और इसका नुकसान पार्टी की छवि को उठाना पड़ता है।
फिलहाल भाजपा की ओर से इस मामले पर कोई आधिकारिक स्पष्टीकरण नहीं आया है, और न ही प्रवक्ता हनी पाठक ने इस गलती को लेकर कोई सार्वजनिक टिप्पणी की है। हालांकि, पार्टी के भीतरखाने में इसे लेकर नाराजगी जरूर बताई जा रही है।
यह घटना एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर करती है कि राजनीतिक दलों को अपने प्रवक्ताओं और पदाधिकारियों को केवल बोलने की कला ही नहीं, बल्कि संगठन और नेताओं की बुनियादी जानकारी से भी लैस करना होगा। क्योंकि जब बात जनसंचार की हो, तो एक छोटी सी गलती भी बड़ी फज़ीहत का कारण बन सकती है।
