हरिद्वार भूमि घोटाले की जांच पूरी: करोड़ों की राजस्व हानि, बड़े अधिकारियों पर भी उठे सवाल….

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देहरादून/हरिद्वार: हरिद्वार नगर निगम द्वारा की गई 54 करोड़ रुपए की भूमि खरीद से जुड़ा चर्चित मामला अब अपने निर्णायक मोड़ पर पहुंचता नजर आ रहा है। इस कथित घोटाले की जांच पूरी कर ली गई है और रिपोर्ट शासन को सौंप दी गई है। विशेष बात यह है कि इस जांच में सिर्फ जमीन खरीद की प्रक्रिया ही नहीं, बल्कि इस प्रकरण में शामिल उच्च अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल उठे हैं। इससे मामले की गंभीरता और संभावित गड़बड़ियों की पुष्टि होती दिख रही है।

प्रदेश सरकार ने जब इस भूमि खरीद में अनियमितताओं और संभावित राजस्व हानि की खबरों को गंभीरता से लिया, तो मुख्यमंत्री स्तर से तत्काल प्रभाव से जांच के आदेश दिए गए। इसके तहत वरिष्ठ IAS अधिकारी रणवीर सिंह चौहान को जांच सौंपी गई थी। मई के पहले सप्ताह में यह जिम्मेदारी उन्हें दी गई थी, जिसे उन्होंने लगभग 25 दिनों के भीतर पूरा कर शासन को सौंप दिया है।

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रणवीर सिंह चौहान की अगुवाई में की गई इस जांच में न केवल दस्तावेजों की बारीकी से पड़ताल की गई, बल्कि मौके पर जाकर स्थिति का जायजा भी लिया गया। जांच अधिकारी ने जमीन बेचने वाले किसानों, नगर निगम के संबंधित अधिकारियों और अन्य जुड़े पक्षों से भी पूछताछ की। इस प्रक्रिया में यह साफ हुआ कि भूमि की खरीद में नियमानुसार प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया गया। विशेष रूप से भूमि के 143 रूपांतरण (कृषि से व्यवसायिक उपयोग में बदलाव) और ‘लैंड पुल कमिटी’ के गठन जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं की अनदेखी की गई।

बताया जा रहा है कि नगर निगम द्वारा यह भूमि काफी ऊंचे दामों पर खरीदी गई, जबकि बाजार दर इससे कम थी। इससे सरकार को करोड़ों रुपए के राजस्व का नुकसान हुआ है। इसके अलावा भूमि के उपयोग को लेकर भी उचित प्रक्रिया नहीं अपनाई गई, जिससे नगर निगम की कार्यप्रणाली और नियोजन पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं।

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इस रिपोर्ट में कई वरिष्ठ अधिकारियों की भूमिका को लेकर भी गंभीर टिप्पणियां की गई हैं। जांच में यह बात सामने आई है कि निर्णय लेने की प्रक्रिया में पारदर्शिता का अभाव रहा और जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा आवश्यक सावधानियों का पालन नहीं किया गया। यह भी संकेत मिले हैं कि कुछ निर्णय जल्दबाजी और बिना विधिक औपचारिकताओं के लिए गए, जिससे अनियमितताओं को बढ़ावा मिला।

इस पूरे मामले ने उत्तराखंड प्रशासनिक ढांचे में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व को लेकर एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि शासन इस जांच रिपोर्ट के आधार पर क्या कदम उठाता है। क्या दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होगी? क्या इस भूमि घोटाले में किसी राजनीतिक हस्तक्षेप की भी जांच होगी? ये ऐसे सवाल हैं जो आने वाले दिनों में उत्तराखंड की राजनीति और प्रशासन पर गहरा असर डाल सकते हैं।

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इस पूरे घटनाक्रम ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सरकारी संपत्तियों और धन के दुरुपयोग को लेकर अब शासन ज्यादा सख्त रुख अपनाने जा रहा है। रणवीर सिंह चौहान की रिपोर्ट अब शासन के पास है, और संभावना है कि जल्द ही इस मामले में निर्णायक कार्यवाही देखने को मिलेगी।