देहरादून दिल्ली एक्सप्रेस वे पर आशारोड़ी के आसपास मार्ग को फोरलेन करने के लिए पेड़ों पर खूब अरियाँ चलाई जा रही है..इस क्षेत्र में करीब 11000 से ज्यादा पेड़ों की बलि चढ़ाई जाती है.. इस में अधिकतर वह साल के पेड़ है जो दशकों से यहां पर पर्यावरण और वन्यजीवों के रक्षक बने हुए थे..इस पैच में उत्तर प्रदेश बोर्डेर पर 8 हज़ार के करीब पेड़ काटे जाते हैं जिसमें से अधिकतर काटे भी जा चुके हैं उधर उत्तराखंड में भी करीब ढाई हजार पेड़ों की बलि दी जानी है, दिल्ली से देहरादून के लिए करीब 250 किलोमीटर के इस सफर को 2 घंटे में पूरा करने के लिए यह पूरा प्रोजेक्ट तैयार किया गया है। इस प्रोजेक्ट पर तमाम पर्यावरण प्रेमियों ने अपनी आपत्ति दर्ज कराते हुए विरोध किया है। गीतों के जरिए सरकार को पर्यावरण के महत्व को समझाया जा रहा है पोस्ट कार्ड के जरिए संदेश दिया जा रहा है और संदेश लिखी शक्तियों के जरिए उत्तराखंड में दाखिल होने वाले लोगों को इस प्रोजेक्ट के विरोध में समर्थन के लिए भी खड़ा रहने की अपील की जा रही है। परेशानी केवल साल के दशकों पुराने पेड़ों को काटे जाने की नहीं है बल्कि इनके कटान से तमाम वन्यजीवों को होने वाले नुकसान पर भी सरकार को आगाह करने की कोशिश हो रही है।