इन दिनों नेताओं और अधिकारियों की सोशल मीडिया उपस्थिति आज के दौर में बेहद जरूरी हो गई है। हालांकि, एक चिंताजनक पहलू यह भी सामने आया है कि अधिकांश नेता और अफसर अपनी सोशल मीडिया आईडी खुद नहीं संचालित करते, बल्कि इसके लिए अलग से लोगों को अधिकृत करते हैं। लेकिन कई बार यह व्यवस्था खुद उनके लिए भारी पड़ जाती है।
कई घटनाओं ने यह साबित किया है कि सोशल मीडिया आईडी हैंडल करने वाले व्यक्ति मनमानी करते हुए ऐसी पोस्ट डाल देते हैं, जिससे संबंधित अधिकारी या नेता को फजीहत का सामना करना पड़ता है। कभी गैरजिम्मेदाराना बयानों से विवाद खड़ा हो जाता है, तो कभी बिना तथ्यात्मक पुष्टि के किए गए पोस्ट से सरकार और संगठन की साख पर सवाल उठ जाते हैं।
इतना ही नहीं, कई मामलों में आईडी की सुरक्षा में भी भारी लापरवाही बरती जाती है। सोशल मीडिया अकाउंट के पासवर्ड को सुरक्षित रखने में लापरवाही, संदिग्ध लिंक पर क्लिक करना या असुरक्षित डिवाइस से लॉगिन करने जैसी गलतियों के कारण आईडी हैक होने की घटनाएं भी सामने आ चुकी हैं। ऐसे मामलों में असली नुकसान उन आम लोगों को भुगतना पड़ता है जो हैकर्स के झांसे में आ जाते हैं या जिनका डाटा चोरी हो जाता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि नेताओं और अधिकारियों के अकाउंट्स बड़े जनसमूह से जुड़े होते हैं, इसलिए इनकी जिम्मेदारी सामान्य उपयोगकर्ताओं से कहीं अधिक है। लेकिन जब वे अपनी सोशल मीडिया की कमान बिना किसी पुख्ता निगरानी के किसी और के हाथों में सौंपते हैं, तो यह लापरवाही गंभीर नतीजे पैदा कर सकती है।
चिंता की बात यह भी है कि अकसर ये अकाउंट ऑपरेट करने वाले लोग प्रोफेशनल ट्रेंनिंग प्राप्त नहीं होते। न तो उन्हें सोशल मीडिया की एथिक्स की जानकारी होती है और न ही साइबर सुरक्षा के आवश्यक उपायों की। कुछ मामलों में व्यक्तिगत एजेंडे चलाने के लिए भी इन अकाउंट्स का दुरुपयोग किया गया है, जिससे नेताओं या अधिकारियों को सफाई देनी पड़ी है और उनकी छवि धूमिल हुई है।
समाज में बढ़ते डिजिटल सशक्तिकरण के इस दौर में अब यह आवश्यक हो गया है कि जिम्मेदार पदों पर बैठे लोग अपनी सोशल मीडिया गतिविधियों पर खुद नजर रखें या किसी प्रशिक्षित और विश्वसनीय व्यक्ति या टीम को ही यह कार्य सौंपें। साथ ही, समय-समय पर पासवर्ड बदलने, टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन लागू करने और पोस्ट को पब्लिश करने से पहले स्वयं पुष्टि करने जैसी प्रक्रियाएं भी अपनानी चाहिए।
विशेषज्ञ यह भी सुझाव देते हैं कि नेताओं और अधिकारियों के लिए एक डिजिटल मीडिया प्रबंधन प्रोटोकॉल तैयार किया जाए, जिसमें साफ नियम हों कि अकाउंट ऑपरेशन किस प्रकार सुरक्षित और पारदर्शी तरीके से किया जाए।
वरना, सोशल मीडिया के इस तेज़ और व्यापक प्रभाव वाले युग में एक छोटी सी चूक भी बड़ी सियासी और प्रशासनिक मुश्किलों का कारण बन सकती है।
