स्वास्थ्य विभाग की लचर कार्यप्रणाली लगा रही सरकारी योजनाओं को पलीता

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उत्तराखंड का स्वास्थ्य विभाग सरकार की कल्याणकारी योजनाओं को भी ठेंगा दिखाने का काम कर रहा है । जिसका ताजा उदाहरण महानिदेशालय की दवा खरीद प्रक्रिया मैं दिखाई दे रहा है। दरअसल पिछले 8 माह से दवाओं के टेंडर तक नहीं किए गए हैं जिससे राज्य के लोगों को मुफ्त दवाएं उपलब्ध हो सके। अधिकारी जहां दवा खरीदने को लेकर बड़े-बड़े दावे कर रहे है। वही धरातल पर इसका कोई असर देखने तक को नहीं मिल रहा है। स्वास्थ्य विभाग के स्टोर अनुभाग में अधिकारियों कर्मचारियों की फौज भरी जा रही है लेकिन उसके बावजूद भी टेंडर प्रक्रिया पूरी होने का नाम नही ले रही है । 8 माह से ज्यादा का समय बीत गया है लेकिन टेंडर आज भी जस के तस ही हैं । स्वास्थ्य मुख्यालय में तैनात जेडी स्टोर के स्तर से टेंडर की प्रक्रिया को लेकर अभी भी बैठके ही हो रही है ऐसे में दवाएं लोगों को कब तक मिल पाएगी इसकी सटीक जानकारी आला अधिकारियों को भी नहीं है ।डायरेक्टर स्टोर डॉ0 तृप्ति बहुगुणा ने बताया कि दवाओं के टेंडर करने को लेकर तमाम नियमों का ध्यान रखा जाता है ऐसे में मैन पावर की कमी होने के चलते टेंडर प्रक्रिया अभी पूरी नहीं हो सकी है । इसके साथ ही उन्होंने कहा कि फ्री जेनेरिक को लेकर केंद्र सरकार से मिलने वाले बजट के सापेक्ष में भी परचेज ऑर्डर दिए जा चुके हैं जबकि आरसी करने को लेकर अभी टेंडर प्रक्रिया गतिमान है आपको बता दें कि इससे पूर्व में दवाओं के टेंडर महज एक जेडी स्टोर के स्तर से किए जाते थे लेकिन वर्तमान में जेडी स्टोर के साथी असिस्टेंट जेडी स्टोर की भी तैनाती की गई है वही फार्मासिस्ट व अन्य स्टाफ भी बढ़ाया गया है इसके बावजूद भी टेंडर प्रक्रिया है जो महानिदेशालय में पूरी होने का नाम ही नहीं ले रही है। ऐसे में अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठना भी लाजमी है कि आखिरकार दवाओं जैसी मूलभूत वस्तु के उपलब्धता के अलावा भी अधिकारी अन्य महत्वपूर्ण काम कर रहे है। इसके साथ ही मुख्यालय के स्टोर अनुभाग में लगातार बढ़ रही अधिकारियों की फ़ौज की काबलियत के साथ ही फ़ौज बढ़ाने वाले अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल उठना लाजमी है।