उत्तर प्रदेश में आगामी नगर निकाय चुनावों के लिए आरक्षण की प्रक्रिया में शासन ने महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। सरकार ने नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायतों के आरक्षण सूची में आपत्तियों के आधार पर बदलाव करते हुए सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं। इस प्रक्रिया को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग की तरफ से पिछले कुछ दिनों में प्राप्त आपत्तियों का निस्तारण किया गया है और अब इस पर अंतिम फैसला लिया जा चुका है।
राज्य सरकार ने निकाय चुनाव के आरक्षण को लेकर व्यापक समीक्षा की और सभी नगर निगमों, नगर पालिकाओं तथा नगर पंचायतों के लिए आरक्षण सूची में आवश्यक बदलाव किए। इनमें प्रमुख रूप से सीटों का आरक्षण महिलाओं, पिछड़े वर्गों और एससी/एसटी समुदायों के लिए किया गया है। यह बदलाव आरक्षण के बंटवारे को और अधिक समान और न्यायसंगत बनाने के उद्देश्य से किया गया है, ताकि हर वर्ग को उचित प्रतिनिधित्व मिल सके।
गौरतलब है कि पिछले कुछ समय से आरक्षण सूची पर राजनीतिक दलों, समाजसेवी संगठनों और अन्य सामाजिक समूहों द्वारा आपत्तियां उठाई जा रही थीं। इन आपत्तियों का राज्य सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग ने गंभीरता से समाधान किया है। अधिकारियों के अनुसार, इस प्रक्रिया में किसी भी स्तर पर किसी भी वर्ग विशेष के अधिकारों का हनन नहीं किया गया है और आरक्षण की प्रक्रिया पूरी पारदर्शिता के साथ की गई है।
राज्य सरकार ने निकाय चुनावों को लेकर तमाम प्रशासनिक तैयारियां भी पूरी कर ली हैं। वोटर लिस्ट को अंतिम रूप दे दिया गया है और चुनावी प्रक्रिया की तारीखों का भी ऐलान किया गया है। इस बार के निकाय चुनावों में मतदाता सुविधा को ध्यान में रखते हुए मतदान केंद्रों की संख्या बढ़ाई गई है और चुनावी प्रचार के लिए नई दिशा-निर्देश भी जारी किए गए हैं।
आरक्षण सूची में हुए बदलाव के बाद अब सभी संबंधित क्षेत्रीय प्रतिनिधि और पार्टी कार्यकर्ता इस प्रक्रिया को लेकर संतुष्ट दिखाई दे रहे हैं। आगामी चुनाव में उम्मीदवारों के चयन में आरक्षण को लेकर कोई और विवाद उत्पन्न न हो, इसके लिए चुनाव आयोग और सरकार दोनों ने अपनी पूरी योजना तैयार की है।
इसके अलावा, राज्य सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया है कि चुनाव प्रक्रिया के दौरान कानून-व्यवस्था बनी रहे और किसी भी प्रकार की अनियमितता को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जाएं। अधिकारियों का कहना है कि इस बार के निकाय चुनाव पारदर्शिता, निष्पक्षता और समाज के सभी वर्गों के लिए न्यायपूर्ण होंगे।
निकाय चुनावों के आरक्षण में हुए इस बदलाव को लेकर अब तक किसी भी स्तर पर कोई विवाद नहीं हुआ है, और चुनावों के लिए प्रशासनिक तैयारियां अंतिम चरण में हैं।