क्या उत्तराखंड स्वास्थ्य महानिदेशालय नहीं मानता श्रम विभाग के कानून…?

ख़बर शेयर करें

देहरादून, भारत के श्रम कानून के मुताबिक, आम तौर पर, कर्मचारियों को प्रतिदिन 8 से 9 घंटे और प्रति सप्ताह 48 घंटे तक काम करना पड़ता है. इन सीमाओं से ज़्यादा काम को ओवरटाइम माना जाता है. हालांकि, उत्तराखंड स्वास्थ्य महानिदेशक का कार्यालय इन दिनों 11 से 12 घंटे तक संचालित हो रहा है।। उसके बावजूद भी तमाम फाइल है जो लंबित पड़ी है अब सवाल उठता है कि जब स्वास्थ्य महानिदेशक 11 से 12 घंटे तक अपने कार्यालय में काम कर रही है तो फिर फाइल लंबित रहने के पीछे की असली वजह क्या है ,? आमतौर पर कर्मचारी 10 बजे से 5 बजे तक काम करते हैं लेकिन कार्य लंबित होने पर कार्यालय में ही बने कामों का निपटारा करते हैं। जिससे लंबित पड़ी फाइलों को निस्तारित किया जा सके। अब स्वास्थ्य महानिदेशक के कैंप ऑफिस में लगभग प्रतिदिन 11 से 12 घंटे तक सरकारी कामकाज किया जाता है लेकिन उसके बाद भी तमाम फाइलें आज भी लंबित है।।

यह भी पढ़ें -  नए साल के पहले दिन बेरोजगार संगठन ने सचिवालय के बाहर किया अनोखा विरोध..पैसे की अटैची लेकर पहुंचे युवा..

क्या कहता है देश का श्रम कानून

भारत में, आम तौर पर कर्मचारियों को प्रति दिन 8 से 9 घंटे और प्रति सप्ताह 48 घंटे से ज़्यादा काम नहीं करना होता.

यह भी पढ़ें -  6 IAS अधिकारियों को मिली शासन में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी...

इन सीमाओं से ज़्यादा काम करने को ओवरटाइम माना जाता है.

ओवरटाइम सहित काम के कुल घंटे एक दिन में साढ़े दस घंटे और एक हफ़्ते में 60 घंटे से ज़्यादा नहीं होने चाहिए.

यह भी पढ़ें -  लक्सर में अवैध शराब के खिलाफ बड़ी कार्रवाई...

नियोक्ता किसी कर्मचारी से दिन में 9 घंटे से ज़्यादा काम करने के लिए नहीं कह सकता.

इस अधिनियम में कार्य सप्ताह को 40 घंटे तक सीमित करने का प्रावधान है.

ओवरटाइम पर प्रीमियम कुल मज़दूरी का 100% होता है.