चारधाम यात्रा से पहले ब्यूरोक्रेसी में संभावित फेरबदल की चर्चाएं तेज…

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देहरादून: उत्तराखंड में 30 अप्रैल से शुरू हो रही चारधाम यात्रा से ठीक पहले शासन स्तर पर बड़े प्रशासनिक फेरबदल की चर्चाएं तेज हो गई हैं। सूत्रों के मुताबिक, सचिवालय से लेकर राजनीतिक गलियारों तक बीते एक माह से ट्रांसफर सूची को लेकर चर्चाएं जारी हैं। हालांकि अब तक कोई ठोस निर्णय सामने नहीं आया है, जिससे असमंजस की स्थिति बनी हुई है।

चारधाम यात्रा हर साल लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का प्रतीक होती है और इसके सफल संचालन के लिए प्रशासनिक व्यवस्था की मजबूत भूमिका होती है। ऐसे में यात्रा से ऐन पहले किसी भी प्रकार का फेरबदल न सिर्फ प्रशासनिक तैयारियों को प्रभावित कर सकता है, बल्कि ज़मीनी स्तर पर व्यवस्थाएं भी बाधित हो सकती हैं।

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विश्वसनीय सूत्रों का कहना है कि कुछ विभागीय अधिकारियों के स्थानांतरण को लेकर मसौदा तैयार है, लेकिन अभी तक उस पर अंतिम मुहर नहीं लग पाई है। इस विलंब के पीछे राजनीतिक संतुलन साधने की कोशिश और कुछ वरिष्ठ अधिकारियों के विरोध को भी कारण माना जा रहा है।

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यात्रा मार्गों की मरम्मत, स्वास्थ्य सुविधाओं की व्यवस्था, पुलिस बल की तैनाती और रूट मैनेजमेंट जैसे तमाम जरूरी कार्य पहले ही चरणबद्ध रूप से चल रहे हैं। यदि ऐन मौके पर अधिकारियों का स्थानांतरण होता है तो नए अधिकारियों को न सिर्फ पहले से चल रही योजनाओं की समझ बनानी होगी, बल्कि सीमित समय में कार्यों को धरातल पर उतारने की चुनौती भी झेलनी होगी। सरकार यात्रा को लेकर पूरी तरह गंभीर दिखाई दे रही है, लेकिन ब्यूरोक्रेसी में संभावित फेरबदल सरकार की तत्परता पर सवाल भी खड़े कर सकता है। ऐसे में देखना होगा कि शासन इस मुद्दे पर क्या निर्णय लेता है—क्या यात्रा से पहले ट्रांसफर लिस्ट जारी होती है या इसे यात्रा के बाद तक टाल दिया जाता है।

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फिलहाल सभी की निगाहें सचिवालय की ओर टिकी हैं, जहां एक निर्णय लाखों श्रद्धालुओं की यात्रा को सीधे तौर पर प्रभावित कर सकता है।

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