देहरादून, 08 जुलाई:
उत्तराखंड के प्रतिष्ठित कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व में हाल ही में सामने आए जिप्सी विवाद ने अब प्रदेश की राजनीति में हलचल मचा दी है। दरअसल, दो दिन पहले मुख्यमंत्री कॉर्बेट पार्क के दौरे पर गए थे और वहां वे जिस जिप्सी वाहन में सवार हुए, उसकी फिटनेस को लेकर अब सवाल उठाए जा रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार, वह जिप्सी फिटनेस प्रमाणपत्र के बिना पार्क में संचालित हो रही थी, जबकि जो वन्यजीव सुरक्षा और पर्यटक सुरक्षा दोनों के लिहाज से गंभीर लापरवाही मानी जा रही है। जब यह मामला मीडिया में सुर्खियों में आया तो मुख्यमंत्री कार्यालय भी हरकत में आ गया।
मुख्यमंत्री धामी ने इस मामले को लेकर स्पष्ट किया कि “इस पूरे प्रकरण की गहन जांच कराई जा रही है। यदि कोई भी व्यक्ति या अधिकारी इसमें दोषी पाया जाता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। पर्यावरण संरक्षण और पर्यटक सुरक्षा हमारे लिए सर्वोच्च प्राथमिकता है, ऐसे मामलों में कोई ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी।”
कॉर्बेट पार्क में पर्यटकों को घुमाने के लिए जिप्सी सेवाएं दी जाती हैं, जिनके लिए बाकायदा पंजीकरण और फिटनेस मानदंड निर्धारित हैं। लेकिन अब यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या नियमों का पालन केवल कागजों तक सीमित है?
इस घटना ने पार्क प्रशासन, वन विभाग की कार्यप्रणाली पर भी प्रश्नचिन्ह लगा दिए हैं। यह भी जांच का विषय है कि क्या ऐसी जिप्सियां नियमित रूप से पर्यटकों को भ्रमण करा रही हैं और उनकी निगरानी में लापरवाही बरती जा रही है?
फिलहाल शासन ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच शुरू कर दी है और उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही इसमें संलिप्त अधिकारियों और संबंधित एजेंसियों की जवाबदेही तय की जाएगी। मुख्यमंत्री के इस रुख के बाद अब पूरे वन विभाग में हलचल है और अन्य वाहन संचालन व्यवस्था की भी समीक्षा की जा रही है।
