आबकारी विभाग को बदनाम करने की साजिश, कहीं बेबुनियाद खबरों के जरिए तो नहीं किया जा रहा सिस्टम को टारगेट..? सरकार ने कराई जांच तो षड्यंत्र करने वाले हो सकते है बेनकाब..

ख़बर शेयर करें

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में आबकारी विभाग एक बार फिर सुर्खियों में है, लेकिन इस बार कारण विभागीय कार्य नहीं बल्कि खबरों में फैलाई जा रही भ्रांतियां हैं। हाल ही में कुछ खबरनवीसों द्वारा आबकारी विभाग और उसके अधिकारियों के खिलाफ अनर्गल, तथ्यों से परे खबरें प्रकाशित कर न केवल विभाग की छवि को नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया गया, बल्कि समूचे सिस्टम की साख को भी सवालों के घेरे में खड़ा किया जा रहा है।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह सुनियोजित तरीके से की जा रही बदनाम करने की मुहिम का हिस्सा है, जिसके पीछे किसी विरोधी खेमे की भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता। खबरों की भाषा और उद्देश्य देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि विभाग की साख को गिराने का एजेंडा चलाया जा रहा है।

यह भी पढ़ें -  देहरादून: मुख्यमंत्री धामी ने किया बड़ा प्रशासनिक फेरबदल, कई जिलाधिकारियों व सचिवों के विभाग बदले

आबकारी विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि विभाग लगातार पारदर्शिता और उत्तरदायित्व के साथ काम कर रहा है। विभागीय कार्रवाई, निरीक्षण, लाइसेंस व्यवस्था और राजस्व संग्रहण जैसे मामलों में रिकॉर्ड बेहतर हुए हैं। बावजूद इसके, चुनिंदा खबरनवीसों द्वारा तथ्यहीन खबरें फैलाकर विभाग को कटघरे में खड़ा करना चिंता का विषय है।

यह भी पढ़ें -  देहरादून, राज्य कैबिनेट की महत्वपूर्ण बैठक संपन्न — आठ प्रस्तावों पर लगी मुहर

इस प्रकार की रिपोर्टिंग का न सिर्फ विभागीय अधिकारियों के मनोबल पर असर पड़ता है, बल्कि इससे आम जनता के बीच भ्रम भी उत्पन्न होता है। ऐसी खबरें न केवल अफसरों की साख को प्रभावित करती हैं, बल्कि शासन-प्रशासन के प्रति जनता के विश्वास को भी डगमगाने का खतरा होता है।

अब यह जरूरी हो गया है कि इस प्रकार की खबरों की निष्पक्ष जांच की जाए और उन पत्रकारों या मीडिया संस्थानों को चिन्हित किया जाए जो किसी विशेष मकसद से लगातार ऐसी खबरें प्रकाशित कर रहे हैं।

सूत्रों की मानें तो शासन स्तर पर भी इस मामले को गंभीरता से लिया गया है और जल्द ही मीडिया एथिक्स के तहत ऐसी भ्रामक रिपोर्टिंग पर कार्रवाई के संकेत मिल सकते हैं।

यह भी पढ़ें -  देहरादून, राज्य कैबिनेट की महत्वपूर्ण बैठक संपन्न — आठ प्रस्तावों पर लगी मुहर

जनहित में कार्य करने वाले विभागों को बेवजह बदनाम करने की यह प्रवृत्ति यदि यूं ही चलती रही, तो इससे न केवल प्रशासनिक तंत्र बल्कि लोकतांत्रिक व्यवस्था पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। लिहाजा, अब वक्त आ गया है कि फर्जी खबरों के पीछे के चेहरों को बेनकाब किया जाए और सिस्टम की साख को बनाये रखने के लिए सख्त कदम उठाए जाएं।