राज्य की रजत जयंती के अवसर पर आबकारी विभाग में एक नई कार्यसंस्कृति देखने को मिल रही है। आबकारी आयुक्त अनुराधा पाल ने विभागीय कार्यप्रणाली में सुधार लाने के लिए लगातार सख्त और निर्णायक कदम उठाए हैं। अब तक विभाग के भीतर कई कार्य व्यवस्थाएं केवल औपचारिकता बनकर रह गई थीं, लेकिन इस बार आयुक्त ने साफ कर दिया है कि अब हर अधिकारी और कर्मचारी से उनकी क्षमता और भूमिका के अनुसार कार्य लिया जाएगा।
पहली बार ऐसा अवसर है जब आबकारी सिपाहियों की पोस्टिंग केवल कागजों में नहीं, बल्कि फील्ड और बीट पर वास्तविक रूप से की जाएगी। आयुक्त ने आदेश जारी करते हुए कहा है कि अब हर सिपाही की जिम्मेदारी तय होगी और वे अपने-अपने क्षेत्रों में सक्रिय रूप से प्रवर्तन कार्यों में भाग लेंगे। राज्य में अवैध शराब के कारोबार पर अंकुश लगाने के लिए यह निर्णय बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
प्रदेशभर में अपराध निरोधक क्षेत्रों एवं प्रवर्तन दलों में तीन-तीन प्रधान आबकारी सिपाहियों की तैनाती की जा रही है, जो अवैध शराब के खिलाफ सघन अभियान चलाएंगे। इस पहल का मुख्य उद्देश्य न केवल अवैध शराब की रोकथाम करना है, बल्कि राज्य को हो रहे राजस्व नुकसान पर नियंत्रण और जनस्वास्थ्य की सुरक्षा सुनिश्चित करना भी है। आबकारी आयुक्त अनुराधापाल ने सभी जिला आबकारी अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि इस अभियान को प्राथमिकता के साथ संचालित किया जाए और कार्रवाई की रिपोर्ट समयबद्ध रूप से प्रस्तुत की जाए।
इसी क्रम में आबकारी विभाग ने प्रदेश के धार्मिक स्थलों और मंदिरों के आसपास अवैध शराब की बिक्री रोकने के लिए भी विशेष अभियान शुरू किया है। आयुक्त आबकारी अनुराधापाल ने चार अधिकारियों की विशेष टीम गठित की है, जो 11 से 20 नवंबर तक फील्ड जांच करेंगी। इस टीम का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किसी भी धार्मिक स्थल या मंदिर के पास शराब की बिक्री या अवैध गतिविधि न हो, जिससे लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत हों या जनस्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़े। इस टीम में वरिष्ठ अधिकारियों को जिम्मेदारी दी गई है — संयुक्त आयुक्त मुख्यालय टी के पंत, पौड़ी व हरिद्वार, संयुक्त आबकारी आयुक्त गढ़वाल मण्डल; रमेश चौहान, देहरादून , संयुक्त आबकारी आयुक्त कुमाऊं मण्डल; के.के. कांडपाल, सहायक आबकारी आयुक्त प्रशांत कुमार उधमसिंहनगर, विवेक सोनकिया और प्रतिमान सिंह को नैनीताल — में विशेष प्रवर्तन कार्रवाई करने के निर्देश जारी किए गए है ।
विभाग का यह प्रयास न केवल कानून-व्यवस्था के दृष्टिकोण से सराहनीय है, बल्कि यह आबकारी प्रशासन की सक्रियता और जवाबदेही का भी प्रतीक है। आबकारी आयुक्त अनुराधा पाल की रणनीति अब स्पष्ट संकेत दे रही है कि विभाग अब केवल राजस्व संग्रह तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी निभाने में भी अग्रणी भूमिका निभाएगा।
राज्य सरकार भी इस सख्त कार्यशैली से संतुष्ट दिखाई दे रही है। आबकारी विभाग को उम्मीद है कि इन प्रयासों से न केवल अवैध शराब पर नियंत्रण मिलेगा, बल्कि जनविश्वास भी मजबूत होगा। विभागीय सूत्रों के अनुसार, आने वाले दिनों में इस अभियान का विस्तार अन्य सीमांत और ग्रामीण इलाकों तक किया जाएगा, ताकि प्रदेश को पूरी तरह नशा मुक्त और सुरक्षित बनाया जा सके।


