देहरादून: उत्तराखंड का स्वास्थ्य विभाग एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गया है। इस बार विभाग के स्टोर में फैले व्यापक भ्रष्टाचार को लेकर शासन से लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय तक लगातार शिकायतें पहुंच रही हैं। इन शिकायतों के बाद राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गंभीर रुख अपनाते हुए इस मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं। ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति पर चल रही धामी सरकार के इस सख्त रुख से स्वास्थ्य विभाग के भीतर खलबली मच गई है।
मुख्यमंत्री कार्यालय को प्राप्त हुई शिकायतों में आरोप लगाए गए हैं कि स्वास्थ्य महानिदेशालय का स्टोर कुछ चुनिंदा ठेकेदारों के इशारों पर संचालित हो रहा है। आरोप है कि विभाग के कुछ अधिकारी और कर्मचारी मिलकर इन ठेकेदारों को अनुचित लाभ पहुंचा रहे हैं। नतीजतन कई ऐसे मामलों का भी खुलासा हुआ है, जहां तमाम नियमों को तांक पर रख कर सामग्री की आपूर्ति की गई और मनचाहे दामों पर भुगतान किया गया। कई बार ऐसी वस्तुओं की खरीदी भी दर्ज की गई जो धरातल पर किसी काम नहीं आ रही।
मुख्यमंत्री धामी द्वारा मामले को गंभीरता से लेने के बाद स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने जांच के लिए एक टीम गठित की है। इस जांच समिति की अध्यक्षता वरिष्ठ अधिकारी जसविंदर कौर को सौंपी गई है। यह टीम स्वास्थ्य महानिदेशालय के स्टोर में बीते कुछ वर्षों से हो रही अनियमितताओं की गहनता से जांच करेगी। सूत्रों की मानें तो यह स्टोर वर्षों से एक ही घिसी-पिटी कार्यप्रणाली पर चल रहा है, जहां पारदर्शिता के नाम पर केवल कागजी खानापूर्ति होती है। कुछ चुनिंदा ठेकेदारों को ही लगातार ठेके दिए जा रहे हैं और भुगतान में भी विशेष प्राथमिकता दी जाती है। इस सिस्टम में शामिल कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों ने अपने प्रभाव का दुरुपयोग करते हुए एक पूरा ‘सिंडिकेट’ तैयार कर लिया है।
शिकायतों में यह भी सामने आया है कि कई बार आपूर्ति की गई सामग्री की गुणवत्ता बेहद खराब रही, जिससे मरीजों को इलाज में परेशानी उठानी पड़ी। इतना ही नहीं, कोरोना काल में की गई खरीद-फरोख्त को लेकर भी स्टोर की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हुए थे, मगर उस समय पर कार्रवाई नहीं हो सकी।
जांच टीम अब इन सभी पहलुओं की गहराई से पड़ताल करेगी और जल्द ही अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपेगी। अगर जांच निष्पक्ष और प्रभावी तरीके से होती है तो स्टोर में तैनात कई पुराने और नए मुलाजिमों के खिलाफ कार्रवाई तय मानी जा रही है।
राज्य सरकार का यह कदम निश्चित रूप से भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बड़ा संदेश है, और इससे न केवल स्वास्थ्य विभाग में सुधार की उम्मीद जगी है, बल्कि अन्य विभागों को भी पारदर्शिता बनाए रखने की चेतावनी मिल रही है। जनता भी अब सरकार की इस सक्रियता को गंभीरता से देख रही है और उम्मीद कर रही है कि दोषियों पर जल्द कठोर कार्रवाई होगी।
