देहरादून: शिक्षा के क्षेत्र में एक अहम बदलाव करते हुए राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) ने कक्षा 7 की सामाजिक विज्ञान की पाठ्यपुस्तकों में ‘चार धाम यात्रा’ को शामिल कर लिया है। यह बदलाव खासतौर पर उत्तराखंड सहित पूरे देश में लागू किया गया है, जिससे अब देशभर के छात्र प्राचीन सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं से सीधे जुड़ सकेंगे।
उत्तराखंड सरकार के शिक्षा विभाग ने इस पहल की सराहना की है। , केदारनाथ के साथ साथ हरिद्वार कुंभ मेला और जागेश्वर हिंदू धर्म की अत्यंत पवित्र धार्मिक यात्रा मानी जाती है। यह सिर्फ तीर्थ यात्रा नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक जड़ों और भक्ति परंपरा का प्रतीक भी है।
NCERT ने नई पाठ्यपुस्तक में यह विषय छात्रों को भारतीय संस्कृति, इतिहास और धार्मिक पर्यटन के महत्व को समझाने के उद्देश्य से जोड़ा है। पुस्तक में इन चारों धामों का ऐतिहासिक, भौगोलिक और धार्मिक महत्व विस्तार से बताया गया है। इसके अलावा, पर्यावरणीय चुनौतियाँ पर इसका प्रभाव जैसे मुद्दों को भी पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया गया है। शिक्षाविदों का मानना है कि यह विषय बच्चों में सांस्कृतिक चेतना और पर्यावरणीय जिम्मेदारी का भाव भी विकसित करेगा। विशेष रूप से उत्तराखंड के लिए यह विषय स्थानीय पहचान को मजबूत करने वाला साबित हो सकता है, जिससे छात्र अपने प्रदेश की विरासत पर गर्व महसूस कर सकेंगे।
इस बदलाव के तहत अब छात्रों को केवल पुस्तकीय ज्ञान नहीं मिलेगा, बल्कि वे देश की धार्मिक और सांस्कृतिक विविधताओं को भी करीब से जान पाएंगे। कुछ विद्यालयों ने इस विषय के साथ शैक्षिक भ्रमण की योजना बनाने की बात भी कही है, जिससे छात्र चार धामों की भौतिक यात्रा के माध्यम से भी ज्ञान अर्जित कर सकें।
यह पहल नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) की उस सोच के अनुरूप है, जिसमें भारतीय संस्कृति और परंपराओं को शिक्षा के केंद्र में लाने पर ज़ोर दिया गया है।
