देहरादून। उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग में एक बड़ा मामला सामने आया है, जहां एक वेंडर द्वारा गलत दस्तावेज़ तैयार कर लाखों रुपए के फर्जी तरीके से बिल प्रस्तुत करने खुलासा हुआ है। इस हेराफेरी की जानकारी मिलते ही विभागीय गलियारों में चर्चाएं तेज हो गई हैं। मामला स्वास्थ्य आलाधिकारियों तक पहुंच चुका है और अब इस पर कार्रवाई की तैयारी की जा रही है।
सूत्रों के अनुसार, अलग अलग कंपनियों को संचालित करने वाले पिता पुत्र वेंडर ने जरूरी पात्रता संबंधी कागजातों में गड़बड़ी कर टेंडर प्रक्रिया में भाग लिया और सफल भी हो गया। हालांकि बाद में जब दस्तावेजों की बारीकी से जांच की गई, तो फर्जीवाड़ा पकड़ में आ गया। मामले के उजागर होते ही संबंधित वेंडर ने हाथ-पैर जोड़ते हुए दस्तावेजों को ठीक कर लिया, लेकिन तब तक उसकी हेराफेरी पूरे स्वास्थ्य विभाग में चर्चा का विषय बन चुकी थी।
जानकारों का कहना है कि अगर इस मामले की गंभीरता से जांच की जाती है, तो उक्त वेंडर न केवल ब्लैकलिस्टेड हो सकता है, बल्कि उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी तय है। स्वास्थ्य विभाग जैसी संवेदनशील संस्था में इस तरह की अनियमितता बेहद गंभीर मानी जा रही है, क्योंकि इसका सीधा असर आम जनता को मिलने वाली चिकित्सा सुविधाओं पर पड़ सकता है।
फिलहाल, उच्च स्तर पर यह मामला संज्ञान में आ चुका है और विभागीय अधिकारी इस पर आगे की रणनीति तय करने में जुटे हैं। अब देखना यह होगा कि स्वास्थ्य विभाग पारदर्शिता बनाए रखने के लिए क्या सख्त कदम उठाता है या फिर मामला अन्य मामलों की तरह समय के साथ ठंडे बस्ते में चला जाता है।
