डीजीपी अशोक कुमार के दिशा निर्देशों का नतीजा, हरिद्वार मामले के शातिर अपराधी को दबोचा

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वो सीसीटीवी को मात दे देता था, कि कहीं उसे कोई देख न ले। शातिर इतना कि टोल नाकों से पहले ही अपनी मंजिल के रास्ते बदल देता था, कि कहीं उस पर किसी कि नजर न पड़ जाए। हर दिन अपना ठिकाना बदल देता था, तकि पुलिस उसे ट्रेस न कर ले। इतना ही नहीं बीते एक सप्ताह से मोबइल तक का प्रयोग नहीं कर रहा था, ताकि पुलिए टीम उसे ट्रैक न कर ले। यह शातिर है हरिद्वार नाबालिक केस का सहअभियुक्त राजीव। जिसने दो राज्यों की पुलिस को चकमा दे रखा था। लेकिन, कहते है अपराधी कितना ही शातिर क्यों न हो। कानून के हाथों से नहीं बच सकता। उत्तराखंड पुलिस की टीम मुस्तैदी के चलते राजीव रविवार को उत्तराखंड पुलिस के हत्थे चढ़ गया।रविवार को उत्तराखंड पुलिस ने मामले के सहअभियुक्त 1 लाख के इनामी राजीव को उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर से गिरफ्तार कर लिया। आरोपी राजीव की फरारी के बाद से ही इलाके में तनाव की स्थिति बनी हुई थी। मामले की संजीदगी को देखते हुए फरार आरोपी के सिर पर एक लाख रूपये के इनाम की घोषणा सरकार द्वारा की गई थी। मामले में डीजीपी अशोक कुमार ने पीड़ित पक्ष को जल्द आरोपी की गिरफ्तारी का भरोसा दिलाया। उन्होंने पुलिस को आरोपी को जल्द से जल्द सलाखों के पीछे डालने के निर्देश दिए। जिसके बाद उत्तराखंड पुलिस की ओर से तकरीबन आधा दर्जन टीमें गठित की गई। लेकिन, आरोपी इतना शातिर था कि उसे ट्रैक करना संभव नहीं हो पा रहा था। तकनीकी के दौर में ट्रैक होने के डर के चलते आरोपी न सीसीटीवी की जद में आया और न ही मोबाइल का उपयोग किया। जिस कारण पुलिस को काफी कठिनाई का सामना करना पड़ा। इस बीच सीओ मंगलौर की अगुवाई में एसओजी रुड़की की टीम ने आरोपी को घर दबोचने के लिए परंपरागत तरीकों को अपनाया। मैनुअल पुलिसिंग के इस सिस्टम ने आखिरकार सफलता हासिल कर ली। उत्तरप्रदेश की टीमें भी आरोपी की तलाश करती रही । मामले में उत्तरप्रदेश पुलिस की ओर से भी कई टीमें अंदरखाने एक लाख के इनामी आरोपी राजीव की तलाश में थी। लेकिन, आरोपी इन सात दिनों में लगातार अपने ठिकाने बदलता रहा, बिना किसी सुराग के आरोपी तक पहुचना पुलिस के लिए चुनोती से कम नही था। लेकिन उत्तराखंड पुलिस की फुर्ती और निष्ठा ने मैनुअल वर्किंग के ज़रिए आरोपी को दूसरे राज्य में भी खोज निकाला, जो खुद उस राज्य की पुलिस नहीं कर पाई।