सिख समुदाय पर टिप्पणी के बाद हरक सिंह रावत घिरे, वकीलों के विरोध पर मांगनी पड़ी माफी — राजनीतिक हलकों में मचा हंगामा….

ख़बर शेयर करें

देहरादून में पूर्व कैबिनेट मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरक सिंह रावत एक बार फिर अपने बयानबाजी के चलते विवादों में घिर गए हैं। अधिवक्ताओं के चल रहे आंदोलन में समर्थन जताने पहुंचे रावत ने कथित तौर पर सिख समुदाय पर आपत्तिजनक टिप्पणी कर दी, जिसके बाद उनका विरोध शुरू हो गया और उन्हें सार्वजनिक रूप से अधिवक्ताओं के बीच पहुंचकर माफी मांगनी पड़ी। मामला अब राजनीतिक गलियारों में भी गर्म हो गया है, जहां इसे कांग्रेस के लिए नुकसानदायक बताया जा रहा है। घटना तब हुई जब रावत देहरादून बार एसोसिएशन के आंदोलन में शामिल होने पहुंचे थे। वरिष्ठ अधिवक्ता वी.एस. खुराना के अनुसार, आंदोलन के दौरान हरक सिंह रावत ने एक सिख अधिवक्ता ने हाथ उठाकर नारे लगाने की अपील की, जिस पर रावत ने कथित रूप से कहा— “हाथ उठा लो, अभी बारह नहीं बजे हैं।” यह टिप्पणी सिख समुदाय के प्रति सामाजिक तौर पर अनुचित और अपमानजनक मानी जाती है। जैसे ही यह बयान अधिवक्ताओं के बीच फैल गया, वकीलों ने कड़ा विरोध दर्ज करना शुरू कर दिया। विरोध बढ़ता देख रावत बैकफुट पर आ गए। अधिवक्ताओं ने स्पष्ट कहा कि आंदोलन किसी भी धर्म, जाति या समुदाय पर टिप्पणी करने का मंच नहीं है। वकीलों की नाराजगी बढ़ती देख रावत को तुरंत मौके पर ही अधिवक्ताओं के बीच जाकर माफी मांगनी पड़ी। उन्होंने कहा कि उनका किसी समुदाय की भावनाएं आहत करने का इरादा नहीं था और उनकी बात को अगर गलत समझा गया है तो वह खेद व्यक्त कर चुके है। हालांकि अधिवक्ताओं ने माफी स्वीकार तो कर ली, लेकिन पूरे मामले ने राजनीतिक रंग ले लिया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह पहला मौका नहीं है जब रावत अपनी टिप्पणी के कारण विवादों में आए हों। उन्होंने कई बार अपने बयानों से पार्टी को असहज स्थिति में डाला है। विशेषज्ञों का कहना है कि भाजपा से कांग्रेस में आने के बाद रावत लगातार अपनी छवि को संभालने में असफल रहे हैं और यह घटना उनकी राजनीतिक विश्वसनीयता को और कम कर सकती है।राजनीतिक जानकारों ने यह भी कहा कि ऐसे बयान कांग्रेस की छवि पर सीधा आघात करते हैं, खासकर तब जब पार्टी राज्य में सामाजिक समरसता और सर्वधर्म सद्भाव का संदेश देने की कोशिश कर रही है। एक वरिष्ठ विश्लेषक ने कहा, “हरक सिंह रावत का यह बयान कांग्रेस के लिए फिर से नुकसानदेह साबित होगा। लोग पहले ही कांग्रेस से दूरी बना रहे हैं और ऐसे विवाद पार्टी की मुश्किलें बढ़ाते हैं।”
घटना के बाद सोशल मीडिया पर भी इस टिप्पणी को लेकर तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं। सिख समुदाय से जुड़े कई संगठनों ने इसे असंवेदनशील बताते हुए आपत्ति जताई और कहा कि नेताओं को सार्वजनिक मंचों पर बोलते समय समुदायों की गरिमा का ध्यान रखना चाहिए।फिलहाल मामले ने देहरादून की सियासत को गर्म कर दिया है। विरोध के बाद भले ही रावत ने माफी मांगकर मामला शांत करने की कोशिश की हो, लेकिन यह विवाद लंबे समय तक राजनीतिक चर्चाओं में बना रह सकता है।