राज्य की सत्ता में रही किसी भी पार्टी की सरकार स्वास्थ्य के क्षेत्र में बुनियादी सुविधाएं भले ही ना जुटा सकी हो लेकिन तबादलों को लेकर सरकारों में बड़ी दिलचस्पी दिखाई देती है राज्य का स्वास्थ्य महकमा पहले ही वेंटिलेटर पर हैं ऐसे में एक बार फिर तबादलों का जिन बोतल से बाहर निकल गया है। जिसके चलते अधिकारियों ने भी काम छोड़ कर सेटिंग गेटिंग का खेल शुरू कर दिया है। लेकिन स्वास्थ्य के क्षेत्र में अभी भी मूलभूत सुविधाएं जुटाने में किसी का भी कोई ध्यान नही है विभाग की कुछ जरूरतें सीएसआर फंड से पूरी हो रही है तो कुछ के लिए केंद्र के आगे बार-बार राज्य सरकारों को अपने प्रस्ताव भेजना पड़ रहा है। डबल इंजन की सरकार वर्तमान में भी कमोबेश स्वास्थ्य विभाग के हालात जस के तस ही है ।।स्वास्थ्य विभाग की भले ही बुनियादी सुविधाएं जुटा पाने में सरकार का कोई विजन ना हो लेकिन तबादलों को लेकर अच्छी खासी तैयारी दिखाई दे रही है राज्य सरकार ने एक तरफ तबादला सत्र को शून्य घोषित किया हुआ है वहीं दूसरी तरफ स्वास्थ्य विभाग में तबादलों का दौर भी शुरू हो गया है आखिरकार इन दोहरे मापदंडों को लेकर कांग्रेस ने भी सवाल खड़े करना शुरू कर दिया है कांग्रेस नेताओं ने भी अब सरकार पर चुटकी लेते हुए कहा है कि जब कांग्रेस सत्ता में थी तो स्वास्थ्य विभाग में तबादला उद्योग का जमकर बखान किया करती थी ।। लेकिन अब स्वास्थ्य मंत्रालय में क्लेकशन फ़ॉर इलेक्शन का काम शुरू हो गया है।।वरिष्ठ कांग्रेसी नेता मथूरा दत्त जोशी ने कहा कि कोविड के दौर में बेहतर काम करने वाले अधिकारियों को प्रोत्साहित करने के बजाय उन्हें पनिशमेंट दिया जा रहा है जिससे साफ हो जाता है कि भाजपा की करनी और कथनी में कितना फर्क है।।