देहरादून — बदलते मौसम के बीच बच्चों में खांसी-जुकाम की समस्या आम हो गई है, लेकिन कई बार अभिभावक डॉक्टर द्वारा दी गई पुरानी दवाओं को दोबारा इस्तेमाल करने की गलती कर बैठते हैं। स्वास्थ्य विभाग ने अब इस लापरवाही को गंभीरता से लेते हुए चेतावनी जारी की है।
राज्य के अपर आयुक्त, खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ताजबर सिंह जग्गी ने बताया कि कफ सिरप जैसी तरल दवाएं सीमित समय के लिए प्रभावी रहती हैं। इन्हें डॉक्टर द्वारा निर्धारित डोज और अवधि के भीतर ही इस्तेमाल करना चाहिए। एक बार खुलने के बाद इन सिरप की रासायनिक संरचना समय के साथ बदलने लगती है, जिससे दवा के असर में कमी आ जाती है और कई बार यह हानिकारक भी साबित हो सकती है।
उन्होंने कहा कि अभिभावक अक्सर यह सोचकर दवा संभालकर रख लेते हैं कि अगली बार बच्चे को वही बीमारी हो तो वही सिरप काम आ जाएगा, लेकिन यही लापरवाही बच्चे की सेहत को गंभीर नुकसान पहुंचा सकती है। पुराने सिरप में बैक्टीरिया पनप सकते हैं या उसकी संरचना में बदलाव से लीवर, किडनी या पेट से जुड़ी दिक्कतें हो सकती हैं।
एफडीए ने अभिभावकों से अपील की है कि किसी भी दवा की एक्सपायरी डेट और ओपनिंग डेट पर ध्यान दें। यदि बोतल खुलने के बाद लंबे समय तक रखी है या उसका रंग, गंध या गाढ़ापन बदल गया है तो उसे तुरंत फेंक दें। दवाओं को बच्चों की पहुंच से दूर, ठंडी और सूखी जगह पर रखना भी जरूरी है।
