देहरादून: उत्तराखंड के प्रशासनिक इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ गया है। राज्य गठन के बाद पहली बार किसी महिला आईएएस अधिकारी को आबकारी आयुक्त पद की कमान सौंपी गई है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की दूरदर्शी सोच और महिला सशक्तिकरण की दिशा में उठाया गया यह कदम पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बना हुआ है। आईएएस अधिकारी अनुराधा पाल को आबकारी विभाग का प्रमुख बनाए जाने के पीछे न केवल प्रशासनिक संतुलन है, बल्कि इससे राज्य की महिलाओं को भी बड़ा सामाजिक संदेश मिला है।
अब तक आबकारी आयुक्त जैसे महत्वपूर्ण पद पर पुरुष अधिकारियों की ही तैनाती होती रही है। लेकिन आबकारी नीति और खासकर शराब की दुकानों को लेकर हमेशा से महिलाओं की संवेदनाएं और संघर्ष जुड़ा रहा है। कई बार ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में महिलाओं को शराब के खिलाफ आंदोलन करते देखा गया है। वे दुकानें बंद करवाने के लिए सड़कों पर उतरीं, धरना-प्रदर्शन किए, लेकिन अक्सर उनकी बात को उचित मंच और संवेदनशीलता नहीं मिल पाई।
ऐसे में एक महिला अधिकारी की नियुक्ति से उम्मीद की जा रही है कि अब इन संघर्षों को बेहतर तरीके से समझा और संबोधित किया जाएगा। आईएएस अनुराधा पाल अपने संवेदनशील और निर्णयात्मक रवैये के लिए जानी जाती हैं। उनके पास प्रशासनिक अनुभव भी है और जनसरोकारों को लेकर गंभीर दृष्टिकोण भी। माना जा रहा है कि वे आबकारी नीति में महिलाओं के दृष्टिकोण को भी सम्मिलित करेंगी और उनकी समस्याओं को प्राथमिकता देंगी।
मुख्यमंत्री धामी ने भी साफ किया है कि यह कदम सिर्फ एक प्रशासनिक बदलाव नहीं, बल्कि सामाजिक संतुलन और महिला सशक्तिकरण की दिशा में बड़ा प्रयास है। जानकारों का कहना है कि अब जब विभाग की जिम्मेदारी एक महिला के पास है, तो उनकी आवाज ज्यादा गंभीरता से सुनी जाएगी।
अनुराधा पाल के सामने हालांकि कई चुनौतियां भी होंगी। एक ओर उन्हें राज्य की राजस्व आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए आबकारी नीति को लागू कराना है, वहीं दूसरी ओर महिलाओं और सामाजिक संगठनों की भावनाओं और मांगों के बीच संतुलन भी बनाना होगा।
फिर भी यह तय है कि उनकी नियुक्ति से महिलाओं की भागीदारी और उनके दृष्टिकोण को प्रशासनिक निर्णयों में महत्व मिलेगा। यह न केवल एक ऐतिहासिक कदम है, बल्कि एक सामाजिक परिवर्तन की दिशा में मजबूत शुरुआत भी।
