देहरादून: राजधानी देहरादून, जो कि उत्तराखंड का सबसे प्रमुख और तेजी से विकसित होता शहर माना जाता है, आज बदहाल सफाई व्यवस्था की वजह से शर्मसार हो रहा है। नगर निगम के जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही और सफाई कर्मचारियों की उदासीनता के चलते शहर के कई इलाकों में कूड़े के ढेर लग गए हैं। हालत यह हो गई है कि अब निगम के ट्रैक्टर तक सड़क पर खुलेआम कूड़ा फेंकते नजर आ रहे हैं।
यह शर्मनाक दृश्य देहरादून के व्यस्त और प्रमुख इलाकों में से एक तेग बहादुर रोड, डालनवाला में सामने आया, जहां नगर निगम का एक ट्रैक्टर खुद ही कूड़ा सड़क पर गिराता दिखा। इस घटना का वीडियो भी तेजी से वायरल हो रहा है, जिससे आमजन के बीच गहरी नाराजगी देखने को मिल रही है।
स्थानीय निवासी बताते हैं, “यह इलाका पहले साफ-सुथरा रहता था, लेकिन पिछले कुछ महीनों से गंदगी बढ़ती जा रही है। अब तो नगर निगम का वाहन ही कूड़ा फेंकने लगा है, फिर जनता से क्या उम्मीद की जाए?”
नगर निगम की इस लापरवाही को लेकर शहरवासियों में आक्रोश है। उनका कहना है कि नगर निगम का काम सिर्फ टैक्स वसूलना रह गया है, जबकि शहर की मूलभूत सुविधाओं की हालत दयनीय होती जा रही है। खासकर मानसून से पहले जिस तरीके से गंदगी और कूड़े के ढेर लगते जा रहे हैं, वह स्वच्छता और स्वास्थ्य दोनों के लिए खतरे की घंटी है।लेकिन सवाल यह उठता है कि जब जिम्मेदारों को समस्याएं पहले से पता हैं, तो फिर समाधान में इतनी देर क्यों? सफाई व्यवस्था जैसी बुनियादी जरूरत को लेकर इस तरह की लापरवाही दर्शाती है कि नगर निगम की कार्यप्रणाली में गंभीर खामियां हैं।
स्वच्छ भारत मिशन की सफलता की बात करने वाले राज्यों में जब राजधानी की यह स्थिति हो, तो यह सोचने वाली बात है कि छोटे शहरों और कस्बों की हालत क्या होगी। देहरादून जैसे पर्यटक नगर को साफ-सुथरा और सुंदर बनाए रखना सिर्फ सरकार की नहीं, बल्कि हर नागरिक की जिम्मेदारी है — लेकिन जब प्रशासनिक इकाई ही सबसे बड़ी समस्या बन जाए, तो सुधार की उम्मीद कमजोर पड़ने लगती है शहरवासियों की मांग है कि इस मामले में त्वरित और ठोस कार्रवाई की जाए, ताकि राजधानी देहरादून फिर से साफ-सुथरे शहरों की सूची में अपना स्थान बनाए रख सके।
