चिकित्सा सेवा चयन बोर्ड कार्यालय सरकारी से प्राइवेट में हुआ शिफ्ट…अब भला ये कैसी मितव्ययिता

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यूं तो राज्य सरकारें मितव्ययिता के बड़े-बड़े दावे करती हैं लेकिन उत्तराखंड का स्वास्थ्य महकमा है जो सरकार की मितव्ययिता पर बट्टा लगाने का काम कर रहा है।। दरअसल लंबे समय तक सरकारी भवन में चला चिकित्सा सेवा चयन आयोग अब लाखों रुपए किराया देकर निजी भवन में संचालित हो रहा है जिसको लेकर सवाल भी खड़े होने लगे हैं।….साल 2015 में अस्तित्व में आया चिकित्सा चयन बोर्ड लगभग 6 सालों तक स्वास्थ्य परिवार कल्याण, आयुर्वेद व होम्योपेथ तीनो शाखाओं के साथ संचालित होता रहा, जिससे चयन बोर्ड के अधिकारियों के साथ ही स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को भी खासी सुविधा थी।। लेकिन अब अधिकारियों ने चयन बोर्ड का कार्यालय एक प्राइवेट भवन में शिफ्ट कर दिया है जिसको लेकर अब सवाल भी खड़े होने लगे हैं जहां सरकार मितव्ययिता को लेकर अधिकारियों को नसीहत दे रही है तो अधिकारी सरकार के आदेशों और मितव्ययता के दावों का जमकर मखौल उड़ाते दिखाई दे रहे हैं।। दरअसल स्वास्थ्य महानिदेशक के आवास में संचालित होने वाले चिकित्सा चयन बोर्ड के दफ्तर को अब देहरादून की शास्त्री नगर स्थित एक निजी भवन में शिफ्ट कर दिया गया है। जो सवालों के घेरे में दिखाई पड़ रहा है ।। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इस पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि जब सरकारी भवन मौजूद है तो प्राइवेट भवनों में सरकारी दफ्तरों को शिफ्ट करने का औचित्य नहीं बनता।। वहीं कांग्रेसी नेता गरिमा दसोनी ने कहा कि यह भ्रष्टाचार का एक बड़ा जरिया बनता दिखाई दे रहा है जहां सरकारी भवन होने के बावजूद लाखों रुपए किराया चुका कर उन्हें वहां से संचालित किया जा रहा है।।।स्वास्थ्य महानिदेशालय की संपत्ति पर लंबे समय से चल रहे चिकित्सा सेवा चयन बोर्ड कार्यालय के शिफ्ट होने के बाद स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ तृप्ति बहुगुणा इस पर अलग ही तर्क दे रही हैं उन्होंने कहा कि यह सरकारी आवास डी जी हेल्थ को एलॉटेड था लेकिन शहर से दूर और विरानगी में होने के चलते यहां डीजी हेल्थ नहीं रहते थे लिहाजा यह चयन बोर्ड को दिया गया था । लेकिन अब चयन बोर्ड यहां से शिफ्ट हो गया है जिसके बाद केंद्रीय एजेंसी को अब यह आवास किराए पर दिया जा रहा है।।सरकारी भवनों को शिफ्ट करने को लेकर सवाल खड़े होना लाजमी है ऐसे में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि सरकार मितव्ययिता और नियमों के अनुसार ही काम करेगी यदि कोई विभाग सरकारी व्यवस्था को खराब करने की हिमाकत करता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।। उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग के गजब हाल दिखाई दे रहे हैं जहां चिकित्सा चयन बोर्ड का कार्यालय सरकारी से शिफ्ट होकर किराए के भवन में संचालित कराया जा रहा हो तो वही अब सरकारी भवन को केंद्रीय एजेंसियों को देने की तैयारी की जा रही है जिससे पता चलता है कि सरकारी सिस्टम कितना मितव्ययिता का ख्याल कर रहा है