देहरादून, उत्तराखंड शासन ने राज्य अंतर्गत बाह्य सेवा, प्रतिनियुक्ति एवं सेवा स्थानांतरण से संबंधित व्यवस्था को लेकर एक बार फिर सख्त दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इस बार जारी आदेशों में स्पष्ट कर दिया गया है कि निर्धारित अवधि के पश्चात प्रतिनियुक्ति को स्वतः समाप्त मानते हुए कार्मिक को मूल विभाग में योगदान देना अनिवार्य होगा। साथ ही, जिन कार्मिकों की सेवानिवृत्ति में 5 वर्ष से कम का समय शेष है, उन्हें प्रतिनियुक्ति या बाह्य सेवा स्थानांतरण की अनुमति नहीं दी जाएगी।
शासनादेश के अनुसार, सामान्यतः प्रतिनियुक्ति या बाह्य सेवा के लिए तीन वर्षों की अवधि की स्वीकृति दी जा सकेगी। इसके लिए संबंधित कार्मिक का स्थायीकरण, मूल विभाग की अनापत्ति, सेवाभिलेखों की जांच और इस आशय का प्रमाण पत्र कि कोई न्यायिक या अनुशासनात्मक कार्यवाही लंबित नहीं है, अनिवार्य होगा। इसके अतिरिक्त यह स्पष्ट किया गया है कि आवश्यकता पड़ने पर विभागीय हित में किसी भी समय कार्मिक को मूल विभाग में वापस बुलाया जा सकता है।
तीन वर्ष की अवधि पूर्ण होने के पश्चात यदि आगे दो वर्षों के लिए प्रतिनियुक्ति बढ़ानी हो तो संबंधित संस्था से मांगपत्र, मूल विभाग की अनुमति एवं कार्य प्रभावित न होने की सिफारिश सहित एक माह पूर्व प्रस्ताव वित्त विभाग को भेजना आवश्यक होगा। यदि निर्धारित अवधि से पहले स्वीकृति नहीं मिलती है, तो प्रतिनियुक्ति स्वतः समाप्त मानी जाएगी और कार्मिक को तत्काल मूल विभाग में योगदान देना होगा।
शासन ने यह भी स्पष्ट किया है कि किसी भी दशा में प्रतिनियुक्ति की अवधि समाप्त होने के बाद प्रस्ताव स्वीकार नहीं किए जाएंगे। यदि कोई कार्मिक अवधि समाप्ति के बाद भी अनाधिकृत रूप से तैनात पाया गया, तो कार्मिक विभाग के 2007 के शासनादेश के अनुसार कार्रवाई की जाएगी।
इसके अलावा, विभागीय अधिकारियों को नियमित रूप से समीक्षा करनी होगी कि कोई भी कार्मिक निर्धारित समय के बाद अनाधिकृत रूप से तैनात तो नहीं है। यदि ऐसा पाया जाता है, तो संबंधित अधिकारी को भी जिम्मेदार माना जाएगा।
शासनादेश में यह भी व्यवस्था की गई है कि बाह्य सेवा/प्रतिनियुक्ति/सेवा स्थानांतरण मुख्यतः दो प्रकार के पदों के लिए होती है – एक पूर्णतः प्रतिनियुक्ति के पद, और दूसरे वे पद जो नियमित नियुक्ति तक अस्थायी रूप से प्रतिनियुक्ति द्वारा भरे जाते हैं। आमतौर पर नियमित नियुक्ति के बजाय उन्हीं कार्मिकों की प्रतिनियुक्ति अवधि बढ़ाई जाती है, जिससे अन्य पात्र कार्मिकों के अवसर समाप्त हो जाते हैं।
इसलिए अब सभी विभागों को निर्देशित किया गया है कि अवधि समाप्त होने पर पुनः विज्ञप्ति निकालकर समानता के सिद्धांत के तहत नए आवेदन आमंत्रित किए जाएं। यदि फिर भी तैनाती न हो पाए, तभी पुराने कार्मिक की प्रतिनियुक्ति अवधि बढ़ाई जा सकेगी।
शासन ने इन सभी दिशा-निर्देशों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं और स्पष्ट कर दिया है कि किसी भी स्तर पर शिथिलता बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

