देहरादून। उत्तराखंड की राजनीति में अंकिता भंडारी हत्याकांड एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है, जिस पर कांग्रेस लगातार सरकार को घेरती रही है। सड़क से लेकर सदन तक कांग्रेस के विधायक इस मामले को लेकर मुखर हैं और सरकार पर लगातार हमला बोल रहे हैं। विपक्ष बार-बार सरकार से यह सवाल कर रहा है कि इस मामले में वीआईपी कौन था और सरकार इस पूरे हत्याकांड की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित क्यों नहीं कर रही। हालांकि, इसी बीच कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक तिलकराज बेहड़ के बयान ने नई बहस को जन्म दे दिया है।
तिलकराज बेहड़ ने कहा कि किसी भी व्यक्ति पर बिना जांच के आरोप लगाना सही नहीं है, क्योंकि इससे किसी निर्दोष व्यक्ति के मान-सम्मान को ठेस पहुंच सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को पहले इस पूरे मामले की जांच करानी चाहिए और किसी भी तरह की अटकलों से बचना चाहिए। उनके इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है, क्योंकि कांग्रेस के अन्य नेता अब तक इस मामले में सरकार को कठघरे में खड़ा कर रहे थे, लेकिन बेहड़ का रुख इससे बिल्कुल अलग नजर आ रहा है।
कांग्रेस के कई नेता अब तक इस मामले में सरकार पर वीआईपी को बचाने का आरोप लगाते रहे हैं। कई बार पार्टी के नेताओं ने बीजेपी संगठन से जुड़े कुछ लोगों के नाम भी लिए और उन्हें इस हत्याकांड का जिम्मेदार बताया था। कांग्रेस के विधायकों ने इस मामले को लेकर सदन में भी जमकर हंगामा किया और सरकार को जवाब देने के लिए मजबूर किया। लेकिन तिलकराज बेहड़ के बयान से अब साफ हो गया है कि कांग्रेस के भीतर ही इस मुद्दे को लेकर मतभेद हैं।
राजनीतिक माहौल गरमाया
तिलकराज बेहड़ के इस बयान के बाद बीजेपी ने कांग्रेस पर पलटवार किया है। बीजेपी नेताओं का कहना है कि कांग्रेस खुद ही इस मामले में भ्रम की स्थिति बना रही है। पहले वह सरकार पर आरोप लगाती है और अब उसके ही वरिष्ठ विधायक जांच के बिना किसी पर आरोप लगाने को गलत ठहरा रहे हैं। इससे साफ जाहिर होता है कि कांग्रेस के भीतर ही इस मामले को लेकर एकरूपता नहीं है।
हालांकि, तिलकराज बेहड़ का बयान कांग्रेस के अन्य नेताओं के रुख से अलग नजर आ रहा है। उन्होंने साफ कहा कि बिना किसी ठोस जांच के किसी पर आरोप नहीं लगाने चाहिए। उनका कहना है कि ऐसे मामलों में जल्दबाजी करने से कई बार निर्दोष लोगों को भी नुकसान पहुंच सकता है।
