थराली/देहरादून।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को यूं ही अन्य नेताओं से अलग नहीं कहा जाता। उनकी यही विशेषता शनिवार को थराली दौरे के दौरान एक बार फिर सामने आई। दरअसल, मुख्यमंत्री धामी जब आपदा प्रभावित थराली पहुंचे तो अचानक उनके काफिले के आगे ग्रामीण सड़कों पर बैठ गए और विरोध जताने लगे। लोगों की मांग थी कि मुख्यमंत्री केवल थराली का ही नहीं बल्कि चेपडो गांव का भी दौरा करें, जहां हाल ही में आई भारी आपदा ने भारी नुकसान पहुंचाया है।
ग्रामीणों का कहना था कि चेपडो में घर और खेत तबाह हो चुके हैं, कई परिवार बेघर हो गए हैं, लेकिन अभी तक नुकसान का उचित आकलन नहीं हो पाया है। इसी नाराजगी को लेकर उन्होंने मुख्यमंत्री के काफिले को रोक लिया और अपनी बात रखने लगे।
इस मौके पर मुख्यमंत्री धामी ने वह किया जिसकी उनसे जनता को उम्मीद रहती है। बिना किसी झिझक और प्रोटोकॉल की परवाह किए वे खुद गाड़ी से उतरे और आक्रोशित ग्रामीणों के बीच पहुंच गए। उन्होंने धैर्यपूर्वक लोगों की समस्याएं सुनीं और आश्वासन दिया कि सरकार हर प्रभावित परिवार के साथ खड़ी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि न केवल थराली बल्कि चेपडो सहित हर प्रभावित क्षेत्र का नुकसान आंका जाएगा और प्रभावितों को हरसंभव राहत दी जाएगी।
मुख्यमंत्री के इस सादगीपूर्ण और जमीन से जुड़े अंदाज ने माहौल को बदल दिया। जो लोग कुछ देर पहले नाराज होकर विरोध कर रहे थे, वही लोग उनकी सहजता और संवेदनशीलता से प्रभावित होकर शांत हो गए। कई ग्रामीणों ने कहा कि मुख्यमंत्री का यही व्यवहार उन्हें अन्य नेताओं से अलग करता है।
गौरतलब है कि पुष्कर सिंह धामी अक्सर जनता के बीच सीधे संवाद करने और समस्याओं को मौके पर सुनने के लिए जाने जाते हैं। थराली में भी उन्होंने यही परंपरा निभाई। प्रशासनिक अधिकारियों को उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिए कि चेपडो और आसपास के आपदा प्रभावित इलाकों में राहत व पुनर्वास कार्यों में तेजी लाई जाए और किसी भी पीड़ित को सहायता से वंचित न रखा जाए।
इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि मुख्यमंत्री धामी अपनी सादगी और जनता से जुड़ाव के कारण ही लोगों के बीच खास पहचान रखते हैं। विरोध और नाराजगी के बीच भी उनका सहज व्यवहार ही था जिसने ग्रामीणों का गुस्सा शांत कर उन्हें अपनी ओर आकर्षित कर लिया।
